सुभाष कुमार गौतम /घुमारवीं
ज़िला व सत्र न्यायाधीश की अदालत ने एक मंदिर के पुजारी सहित एक अन्य व्यक्ति को एक-एक साल कारावास व दस हजार जुर्माना जुर्माना अदा करने आदेश दिए है। जुर्माना अदा न करने की सूरत में एक महीना अतिरिक्त सजा भुगतनी होगी। अदालत ने बुधवार को वर्ष 2012 से चले आ रहे मंदिर में छुआछूत के एक मामले यह आदेश दिए है। सनद रहे कि मंदिरो की दीवारों पर “शुद्रों का प्रवेश निषेध है” लिखा गया था। अदालत ने 3 अक्तूबर को ही आरोपियों को दोषी मुकर्र कर दिया था, लेकिन बुधवार को दोनो दोषियों को जेल भेज दिया है। इस दौरान पुलिस व प्रशासन ने सुरक्षा को देखते हुए पुलिस बल तैनात भी किया था।
क्या था मामला ?
बिलासपुर के महाबली मंदिर खैरियां की दीवारों पर “शुद्रों का प्रवेश निषेध है” लिखा गया था,इस मामले पर बंसी दास ने पुलिस को शिकायत दर्ज करवाई थी। उन्होंने शिकायत में कहा था कि जब बे इस मंदिर में गए तो पूजारी केवल और हर केवल ने दर्शन करने से रोका। यह मामला 24 जनवरी2012 का है। 27 जनवरी 2012 को थाना कोट में इस मामले की शिकायत दर्ज करवाई। एससी व एसटी एक्ट के तहत मामला दर्ज हुआ था। इस मामले में अभियोजन पक्ष की तरफ से 14 गवाह पेश किए गए। अदालत पाया कि किसी को मंदिर में जाने से रोकना क़ानूनी अपराध है।
(खबर मीडिया रिपोर्टस के आधार पर है)
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