वी कुमार/मंडी
हिमाचल सरकार ने विज्ञान ग्राम योजना की शुरूआत की है, जो पिछड़े हुए गांवों की तस्वीर बदलने में सहायक सिद्ध होगी। राज्य सरकार की इस योजना की जानकारी हिमकोस्ट के सदस्य सचिव आईएफएस अधिकारी कुनाल सत्यार्थी ने आईआईटी मंडी में तीसरे राज्य स्तरीय साईंस कांग्रेस में दी। इस योजना के तहत सरकार ने पहले चरण में पांच जिलों के पांच पिछड़े हुए गांवों का चयन किया है, जहां विज्ञान की आधुनिक तकनीकों का इस्तेमाल करके इनके विकास की तरफ ध्यान दिया जाएगा।
चयनित जिलों के गांवों में मंडी जिला का घाट गांवए कुल्लू जिला का मोहिनी, शिमला जिला का पीपलीधार, सिरमौर जिला का बाटल बकोग और चंबा जिला का छांजू गांव शामिल है। आईएफएस अधिकारी कुनाल सत्यार्थी ने बताया कि चयनित किए गए गांवों की असेसमेंट की जा चुकी है, जिसमें यह जानने का प्रयास किया गया है कि यहां के ग्रामीणों की आर्थिकी क्या है, रोजगार के क्या अवसर हैं, कितनी जमीन है और उससे कितनी व किस प्रकार की आय है तथा पशु आधारित क्या आय है।
इन गांवों में भारत सरकार की विभिन्न संस्थाओं के माध्यम से विज्ञान का सही इस्तेमाल करके यहां विकास के नए रास्ते खोले जाएंगे। उन्होंने बताया कि 190 प्रकार की तकनीकों को राज्य सरकार ने चिंहित किया है जिनमें से अधिकतर का इन गांवों में उपयोग करके यहां की आर्थिकी को सुदृढ़ किया जाएगा।
कुनाल सत्यार्थी ने बताया कि प्रदेश में जो साईंस कांग्रेस हो रहे हैं उनमें भी कई नई तकनीकें उभर कर सामने आ रही हैं। लेकिन इन तकनीकों को सही मंच न मिल पाने के कारण यह गांवों तक नहीं पहुंच पाती और सही मुकाम नहीं मिल पाता। उन्होंने बताया कि जब तक लैब को लैंड के साथ नहीं जोड़ा जाएगा तब तब इस दिशा में आगे नहीं बढ़ा जा सकता और इसी बात को जमीनी स्तर पर उतारने के लिए राज्य सरकार प्रयासरत है।
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