शिमला (एमबीएम न्यूज़) : मुख्यमंत्री वीरभद्र सिंह ने आज शिमला ग्रामीण विधान सभा क्षेत्र के कोटला में 66वें राज्य स्तरीय वन महोत्सव का शुभारम्भ करने के उपरान्त कहा कि प्रदेश सरकार द्वारा 1986 से हरे पेड़ों के कटान पर लगाए गए पूर्ण प्रतिबन्ध की वजह से हालांकि राज्य को 22 हजार करोड़ रुपये का नुकसान हुआ है, लेकिन उन्हें इस बात का सन्तोष है कि इससे हजारों पेड़ों को बचाने में सफलता मिली है, जिससे विगत दो दशकों के दौरान राज्य के वनाच्छादित क्षेत्र में वृद्धि हुई है।
वीरभद्र सिंह ने कहा कि उनके मुख्यमंत्री बनने से पूर्व सेबों की पैकिंग के लिये लकड़ी के बक्से इस्तेमाल में लाए जाते थे जिसके लिये हजारों पेड़ों को काटा जाता था, जिससे वन सम्पदा का भारी नुक्सान होता था तथा इसकी आड़ में वन माफिया भी काफी फलाफूला। उन्होंने कहा कि कांग्रेस सरकार ने बागवानी से संबंधित तबकों और किसानों के विरोध के बावजूद सेबों की पैकिंग के लिए कौरूगेटिड बक्सों के उपयोग का निर्णय लिया और आज कौरूगेटिड बक्सों की जबरदस्त मांग है। इससे प्रदेश की वन सम्पदा और जीव-जन्तु व वनस्पति का संरक्षण हुआ है।
उन्होंने कहा कि इस तरह के कार्यक्रमों का उद्देश्य लोगों को वन सम्पदा के लाभों के प्रति जागरूक करने के साथ-साथ हिमालयन पारिस्थितिकी को अपघटन से बचाने तथा पर्यावरण संरक्षण की दिशा में कार्य करने के लिए जागरूक करना है। इस अवसर पर उन्होंने पूर्व केन्द्रीय कृषि मंत्री के.एन. मुन्शी को वन सम्पदा के संरक्षण की दिशा में उनके योगदान के लिए याद किया। मुन्शी ने 1950 में देश की वन सम्पदा के संरक्षण एवं संवर्द्धन के लिए पहल की थी।
उन्होंने कहा कि वह प्रदेश की वन सम्पदा के संरक्षण के लिए प्रतिबद्ध हैं तथा मुख्यमंत्री बनने के बाद से वह वन माफिया पर नकेल कसने तथा प्रदेश की वन सम्पदा के संरक्षण के लिये समर्पित रहे हैैं। उन्होंने कहा कि इससे कार्बन क्रैडिट प्राप्त करने में मदद मिली है तथा हिमाचल प्रदेश कार्बन क्रैडिट अर्जित करने की उपलब्धि प्राप्त करने वाला एशिया का पहला राज्य बना है।
वीरभद्र सिंह ने कहा कि शिमला ग्रामीण विधानसभा क्षेत्र में 105 करोड़ रुपये की लागत की पेयजल आपूर्ति योजना कार्यान्वित की जा रही है, जिससे आने वाले समय में क्षेत्र की 45 पंचायतों के लोगों को लाभ मिलेगा। उन्होंने सिंचाई उद्देश्यों के लिए चैकडैम बनाने और दुग्ध आधारित व्यवसाय अपनाने की आवश्यकता पर भी बल दिया। उन्होंने लोगों से चौड़ी पत्ती वाले और फलदार पेड़ उगाने का आह्वान किया। उन्होंने कहा कि हरित आवरण में वृद्धि और बदलती पारिस्थितिक परिस्थितियों से जीव-जन्तु एवं वनस्पति को बचाने के उद्देश्य से चम्बा और कांगड़ा जिलों में 310 करोड़ रुपये की के.एफ.डब्ल्यू. जर्मन परियोजना कार्यान्वित की जा रही है।
मुख्यमंत्री ने कहा कि प्रदेश सरकार के प्रयासों के कारण एक हेक्टेयर तक की वन भूमि पर विकासात्मक गतिविधियांे के लिए स्वीकृति प्रदान करने की शक्ति अब प्रदेश सरकार के पास है तथा गत वर्ष प्रदेश सरकार द्वारा वन स्वीकृतियांे के लगभग 82 मामलों में मंजूरी प्रदान की गई है। वीरभद्र सिंह ने वनीकरण अभियान में 3000 से अधिक स्कूली बच्चों द्वारा भाग लेने तथा गत वर्ष 5,61,000 से अधिक पौधे लगाने पर प्रसन्नता व्यक्त की। उन्होंने आशा व्यक्त की कि इस वर्ष स्कूली बच्चों के अलावा कॉलेजों के विद्यार्थी भी इस अभियान में भाग लेंगे। उन्होंने वन सम्पदा के महत्व एवं लाभों के सन्दर्भ में युवाओं को जागरूक करने की आवश्यकता पर बल दिया।
वीरभद्र सिंह ने इस अवसर पर सफेद ओक का पौधा रोपा और इसके उपरान्त सेवाओं में उत्कृष्ट प्रदर्शन करने वाले वन अधिकारियों और कर्मचारियों को सम्मानित भी किया।
मुख्यमंत्री ने कहा कि प्रदेश के विकास और आर्थिकी में जल विद्युत और पर्यटन क्षेत्र का महत्वपूर्ण योगदान है और ये दोनों क्षेत्र प्रदेश की समृद्ध जैव वनस्पति सम्पदा पर निर्भर करते हैं। उन्होंने वन सम्पदा को प्रदेश की आर्थिकी की रीढ़ करार दिया।