नितेश सैनी/सुंदरनगर
एक तरफ पीएम मोदी देश में स्वच्छता का अभियान चलाकर देश को विश्व में नंबर एक बनाना चाहते है, वहीं पीएम मोदी का यह अभियान सिरे चढ़ता नहीं दिख रहा है। नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल ने देशभर के 22 राज्यों के 102 शहरों को हवा की गुणवत्ता सुधारने के आदेश जारी कर दिए हैं, जिसमें हिमाचल प्रदेश के प्रमुख सात शहर शामिल हैं। हिमाचल के सबसे प्रदूषित शहरों में बद्दी डमटाल, कालाअंब, सुंदरनगर परवाणु, पावंटा साहिब और नालागढ़ शामिल है। हिमाचल प्रदेश के मंडी जिला को देश में स्वच्छता के क्षेत्र में नंबर एक अवार्ड हासिल हुआ लेकिन उसी मंडी के सुंदरनगर को नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल ने हवा की गुणवत्ता सुधारने के आदेश जारी किए है।
सुंदरनगर में जगह-जगह गंदगी फैली हुई है। नगर परिषद द्वारा चांदपुर में डंपिंग साइट का निर्माण किया है। कई वर्षो से यहाँ पर खुले में गंदगी फैंकी जा रही है। खुले में गंदगी फैंकने पर लोगो ने कई बार धरना प्रदर्शन कर इस का वरोध भी किया। मगर नगर परिषद और प्रसाशन ने खाना पूर्ति के नाम पर जेसीबी मशीने लगाई। खुले में पड़ी गंदगी को आगे पीछे करना उचित समझा। लोगो को आश्वाशन दिया गया कि जल्द इस समस्या का कोई उचित समाधान किया जाएगा ताकि लोगो को परेशानी न हो। लेकिन आज तक लोगो की समस्या का समाधान नहीं हो पाया। डंपिंग साइट में खुले में फैंकी गंदगी से साथ लगते रोपा, जुगाहण, कलोहड़, धनेश्वरी गाँव सहित नैर चौक के लोगो का जीना मुश्किल हो गया है। जिससे यहाँ पर किसी भी समय महामारी फ़ैल सकती है। इस तरफ नगर परिषद और प्रशासन का कोई भी ध्यान नहीं है। वही स्थानीय निवासी एव समाजसेवी विनोद स्वरूप का कहना है कि अगर नगर परिषद और सरकार लोगो को गंदगी से मुक्ति नहीं दिलाती तो अब लोगो ने मन बना लिया है कि नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल से शिकायत कर समस्या का निपटाया करवाया जाएगा।
वही नप की चांदपुर डंपिंग साइट में गारवेज ट्रीटमेंट प्लांट की योजना धन के बिना लटक गई है। जिससे निष्पाद को लेकर नगर परिषद भारी परेशानी हो रही है। गंदगी से परेशान स्थानीय लोगों का जीना दुश्वार किया हुआ है। नप की तमाम कोशिश तापमान गिरने के साथ और भी खस्ता हालत हो गई है। नगर परिषद की शहर के लिए अंडर ग्राउंड डस्टबिन योजना और वेस्ट गारवेज ट्रीटमेंट प्लांट का खाका बना कर सरकार को भेजा गया। सरकार द्वारा ग्राउंड डस्टविन को तरजीह दी गई और डस्टबिन बनाए गए। लेकिन डंपिग साइट में गारवेज ट्रीटमेंट प्लांट की योजना धन के अभाव से सिरे नहीं चढ़ पाई है। जिसका खामियाजा क्षेत्र के लोगों सहित नप को भुगतना पड़ रहा है।
क्या है नगर परिषद की समस्या
रोपा वार्ड में चांदपुर स्थित डंपिंग साइट में 5 करोड़ 92 लाख से सालिड वेस्ट गारवेज ट्रीटमेंट प्लांट स्थापित किया जाना है। जिसमें कुड़ा कचरा से बायो गैस तैयार कर विद्युत उत्पाद की लक्ष्य रखा गया है। शहरी विकास विभाग की सुंदरनगर में 5 करोड़ के खर्च से अंडर ग्राउंड डस्टविन और 5 करोड़ 92 लाख से सालिड वेस्ट गारवेज ट्रीटमेंट प्लांट स्थापित करने की योजना मंजूर की गई थी। दो वर्ष के बाद भी योजना के तहत डंपिग साइट में गारवेज ट्रीटमेंट प्लांट को बजट में एक पैसा नहीं मिला है।
डंपिंग साइट में पहुंच रहा 12 टन कूड़ा-कचरा
रोपा वार्ड में चांदपुर स्थित डंपिंग साइट में हर रोज करीब 12 टन कूड़ा-कचरा पहुंच रहा है। जिसके निष्पाद की प्रक्रिया को लेकर भारी परेशानी हो रही है। तापमान गिरने के साथ कूड़ा-कचरा गलने व सडऩे में लंबी अवधि लग रही है। जिससे ड़पिंग साइट की हालत और अधिक बदत्तर हो गई है। कूड़ा लाने के कार्य को विशेष वाहन सहित ट्रैक्टर अंजाम दे रहे है। जिनसे गंदगी विशेष वाहन से डंपिंग में लाई जा रही है। हालांकि प्रति माह चार ट्रक का माल निष्पादन के लिए एसीसी कंपनी को सप्लाई किया जा रहा है। लेकिन शेष कूड़े का निष्पाद तापमान घटने के चलते लंबी अवधि तक नहीं हो रहा है। समाजसेवी एव स्थानीय निवासी विनोद स्वरूप का कहना है कि केंद्र सरकार मंडी जिला को स्वच्छता के अवार्ड से नवाज़ती।
यह हमारे लिए गर्व का विषय था। लेकिन अब नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल ने मंडी जिला के सुंदरनगर को प्रदूषण युक्त शहर घोषित किया है। अब यह स्वच्छता का अवार्ड नकारता है। क्योंकि सुंदरनगर में जो डंपिंग साईट बनाई गई है उसका कूड़ा खुले में फैंका जा रहा है। जिस कारण यहाँ पर मक्खियों और मच्छरों का अम्बार हो गया है। चारो तरफ गंदगी के कारण प्रदूषण ही प्रदूषण फैल गया है। उनका कहना है कि यहाँ पर प्रवासी मजदूर भी रहते है। मगर इनका भी यहाँ पर गंदगी से बुरा हाल है। उन्होंने कहा कि डंपिंग साईट के साथ लगते रोपा, जुगाहण, धनेश्वरी, कलोहड़ के साथ लगते अन्य क्षेत्र में भी प्रदूषण की चपेट में है। यहाँ के लोगो का सांस लेना भी मुश्किल हो गया है। जिस कारण यहाँ पर कभी भी कोई बड़ी बीमारी फैल सकती है। उनका कहना है की इस तरफ सरकार का कोई भी ध्यान नहीं है। लगता है कि सरकार और प्रशासन गहरी नींद सोये है। उसका नुक्सान लोगो को भुगतना पड़ रहा है।
विनोद स्वरूप ने कहा की सुंदरनगर के डंपिंग साईट पर नगर परिषद द्वारा एक बायोगैस प्लांट लगाया जाना था जिस कारण लोगो को प्रदूषण व गंदगी से मुक्ति मिलनी थी। मगर आज तक नगर परिषद द्वारा यह सिर्फ जूठी घोषणा बन कर रह गई। उन्होंने प्रशासन से आग्रह किया है कि जल्द से जल्द इस दिशा में कोई बड़ा कदम उठाया जाए, ताकि लोगो को गंदगी से मुक्ति मिल सके। अगर जल्द ही लोगो को गंदगी से मुक्ति नहीं मिली तो लोगो ने अब मन बना लिया है की नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल से शिकायत कर समस्या का निपटारा करवाएंगे। नप ने शहरी विकास विभाग को योजना का खाका तैयार करके बजट की मंजूरी के लिए भेजा है। बजट मिलते ही योजना को मूर्त रूप किया जाएगा। इसके अलावा डंपिंग साइट में कचरा प्रबंधन प्रोसेस निरंतर जारी है। बायोमेडिकल वेस्ट फैंकने वालों की जांच कर कार्रवाई की जाएगी।