वी कुमार/मंडी
गोहर उपमंडल के तहत आने वाली कमरूघाटी अब पर्यटकों, घुमक्कड़ों, यायावरों और शांति सुकून के साथ समय बिताने वालों के लिए अब खुला आमंत्रण देने लगी है। कुदरती सौंदर्य से परिपूर्ण इस घाटी में अब वह हर सुविधाएं मुहैया होने लगी हैं, जो देश व विदेश से आने वाले पर्यटकों के साथ-साथ वीक एंड में एक दो दिन के लिए शांति व सुकून की तलाश करने वालों के लिए जरूरी होती हैं। यही नहीं इस घाटी में जहां पिकनिक करने वालों के लिए हर सुविधा मुहैया है, वहीं रोमांचिक यात्राओं व करतबों के साथ समय बिताने या मनोरंजन करने वालों के लिए भी आधारभूत ढांचा कुछ साहसी व प्रतिभाशाली उद्यमियों ने उपलब्ध करवा दिया है।
जिले के मध्य में स्थित बड़ा देव कमरूनाग के आंचल में स्थित इस घाटी के सौंदर्य से रूबरू होने के लिए मंडी या सुंदरनगर से चैलचौक और वहां से करसोग मार्ग पर चलते हुए कुकड़ीगलू से ऊपर पक्की साफ सुथरी सडक़ से महज 18 किलोमीटर (चैलचौक से) की दूरी पर पहाड़ की चोटी पर सरोआ में पहाड़ी शैली का जालपा माता मंदिर है, जहां तक सडक़ सुविधा उपलब्ध है।
घने जंगलों व सेब के बागीचों के बीच अब कुटाहची व बांदली में सभी सुविधाओं से लैस पहाड़ी शैली के अनुरूप रेस्तरां व रिजार्ट भी बन गए हैं, जिनके माध्यम से पूरे क्षेत्र में रोमांचिक गतिविधियां भी शुरू हो गई हैं। मां जालपा के आंचल में सेब के बागीचों के बीच रिजार्ट के प्रबंधक अखिलेश मिश्रा जो मूल रूस कानपुर के रहने वाले हैं का कहना है कि देश और दुनिया के साथ-साथ मंडी जिले व आसपास के प्रकृति प्रेमियों के लिए यहां पर हर तरह की सुविधाएं मुहैया करवाई जा रही हैं। लकड़ी से निर्मित पहाड़ी शैली के कमरों में ठहरने का आनंद हो या फिर कुदरती सौंदर्य के बीच तंबू में ठहरने का रोमांच, सब यहां मौजूद है।
यही नहीं, यहां से कमरूनाग या शिकारी देवी जाने वाले ट्रैकरों के लिए गाईड, पोटर व कुक आदि भी सुविधा भी दी जा रही है।ऊपर पहाड़ी से पैरागलाईडिंग भी शुरू कर दी गई है। बाढ़ू के पास नाले में बड़े-बड़े टैंक बनाकर वहां पर ट्राउट मछली भी पाली जा रही है, जिसे पर्यटक स्वयं फिशिंग करके पकड़ सकते हैं व इसका स्वादिष्ट व्यंजन बना सकते हैं। घर जैसा खाना खुद ही बनाना हो तो भी यहां पर व्यवस्था है।
एक अन्य रिजार्ट के प्रबंध निदेशक सतीश ठाकुर बताते हैं कि पूरी घाटी को इको टूरिज्म की तरह से विकसित किया जा रहा है ताकि पर्यटक कुल्लू मनाली से ज्यादा लुत्फ यहां पर उठा सकें। सेब सीजन में आएं तो सेबों से लदे पेड़ों का नजारा आनंदित कर देता है। कुदरती फूलों से सराबोर व आयुर्वेदिक जड़ी बूटियों से लबालब जंगलों के बीच से पूरी बल्ह घाटी, सुंदरनगर, मुरारी माता, सिकंदराघार, सरकीधार रिवालसर, मंडी शहर तक का नजारा साफ नजर आता है। रात के समय तो ऐसा जान पड़ता है कि जैसे साफ आसमान में चमकते तारे अपने ऊपर ही हैं। मीलों तक जलती लाइटें तारों की तरह चमकती हैं, जिन्हें कुछ पल निहारते रहने से बेहद सुकून मिलता है।
इस घाटी के प्रकृति शील उद्यमी बिंदर ठाकुर जो इलाके में हजारों लोगों के प्रेरणा स्त्रोत माने जाते हैं जिनके अंगोरा पालन व हर्बल खेती से रूबरू होने का रोमांच भी यहां है। घाटी में प्रगतिशील बागवानों व किसानों द्वारा की जा रही हर्बल की खेती भी पर्यटकों में रोमांच भरने का करती है। रंग बिरंगे पक्षियों व वन्य प्राणियों के जहां तहां दर्शन हो जाने से एक अनूठी अनुभूति बाहर से आने वालों के लिए हो जाती है। चैलचौक से कुटाहची, बांदली व जालपा माता सरोआ तक का सफर स्वर्ग की कल्पना यदि किसी के मन में हो तो वैसा ही रहता है क्योंकि पूरा क्षेत्र घने जंगलों से घिरा है और सडक़ के दोनों ओर घने जंगल गर्मियों में भी सर्दी का एहसास करवाते हैं।
सर्दियों में इस क्षेत्र की चोटियां जब बर्फ से लकदक होती हैं तो उसका एक अलग ही आकर्षक बाहरी लोगों के लिए होता है। रात को खुले में अलाव जलाकर कैंप फायर का आनंद भी यहां लिया जा सकता है। पहाड़ी शैली के परिधान शाल, टोपी, स्वैटर आदि लोग स्वयं तैयार करते हैं जो यहां पर पर्यटकों के लिए एक अलग से आनंद की अनुभूति देते हैं। कमरूघाटी हर मौसम में पर्यटकों, घुमक्कड़ों, यायावरों व प्रकृति प्रेमियों के लिए पूरा रोमांच देने को तैयार है।
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