एमबीएम न्यूज़/शिमला
प्रदेश में 24 प्रतिशत तक बस किराए में बढ़ोतरी के बाद पैट्रोल और डीजल के दामों में वैट की कटौती लोगों को रास नहीं आ रही। सीधे-सीधे सरकार को कटघरे में खड़ा किया जा रहा है। सवाल इस बात पर उठाया जा रहा है कि जब सरकार ने डीजल व पैट्रोल पर वैट में कटौती करनी ही थी,तो इससे पहले किराए क्यों बढ़ाए गए।
प्रदेश के निजी बस ऑपरेटर्स ने सरकार पर पैट्रोल और डीजल की दरों में बढ़ोतरी का तर्क देकर ही किरायों में बढ़ोतरी करने की मांग की थी। प्रदेश के निजी बस ऑपरेटर्स की हड़ताल से बैकफुट पर पहुंची जयराम सरकार ने 48 घंटो से पहले ही निजी बस ऑपरेटर्स को किराया बढ़ोतरी का आश्वासन दे डाला था। यहां तक कि खुद मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर ने भी मंडी में आश्वासन दिया। इसके बाद आधिकारिक तौर पर निजी बस ऑपरेटर्स की हड़ताल खत्म होने पर प्रेस बयान जारी कर दिया गया, लेकिन मुख्यमंत्री की मुलाकात से असंतुष्ट निजी ऑपरेटर्स ने हड़ताल वापस न लेने का फैसला लिया था। फिर ट्रांसपोर्ट मंत्री के साथ बैठक हुई थी।
कुल मिलाकर एक तरफ 24 प्रतिशत बढ़ोतरी, दूसरी तरफ पैट्रोल और डीजल के दामों में वैट की कटौती से निजी बस ऑपरेटर्स को जबरदस्त फायदा पहुंचा है। सोशल मीडिया में सरकार के दोनों ही फैसलों से बस ऑपरेटर्स को मुनाफा देने से जोड़ा जा रहा है। लगातार सोशल मीडिया में सरकार से बस किरायों में कटौती करने की मांग की जा रही है।
सोशल मीडिया में लोगों की राय के मुताबिक वैट कटौती के बाद सरकार को बढ़ाई गई दरों पर पुनर्विचार करना चाहिए। कुल मिलाकर देखना यह है कि 2019 के लोकसभा चुनाव में जयराम सरकार लोगों को राहत देने के लिए कोई बड़ा फैसला लेती है या नहीं।
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