अमरप्रीत सिंह/सोलन
क्या आप जानते हैं कि राष्ट्रपिता महात्मा गांधी ने प्रदेश की किस जेल में ब्रिटिश हुकूमत के दौरान दो दिन बिताए थे। संयोग है कि इस जेल का आखिरी कैदी भी महात्मा गांधी का हत्यारा नत्थूराम गोडसे था। सनद रहे कि गोडसे को पकडऩे वाला सार्जेंट देवराज ठाकुर भी हिमाचली ही था, जो नाहन के अपर स्ट्रीट के रहने वाले थे।
बहरहाल हिमाचल की हसीन वादियों में आज भी डगशाई में एक ऐसी जेल है, जिसकी अंधेरी कोठरियों को देखकर आज भी रूह कांप उठती है। ब्रिटिश काल के दौरान बनी यह जेल खौफनाक मंजर दर्शाती है। 1920 में राष्ट्रपिता महात्मा गांधी ने इसी जेल में दो दिन बिताए थे। वो जेल में बंद कैदियों से मिलने आए थे। आयरिश सैनिकों की बदौलत ही ब्रिटिश राज के खिलाफ भारतीय स्वतंत्रता संग्राम को प्रेरणा मिली थी। इस जेल का अंतिम कैदी महात्मा गांधी का हत्यारा नत्थूराम गोडसे था।
इतिहास के मुताबिक राष्ट्रपिता गांधी के दौरे को लेकर अंग्रेजों ने उनके ठहरने की व्यवस्था छावनी क्षेत्र में की थी, लेकिन गांधी ने जेल में ही कैदियों के साथ ठहरने की बात कही थी। इसी के मद्देनजर गांधी को वीआईपी सैल में ठहराया गया था। आज भी इस सैल में महात्मा गांधी की तस्वीर, चरखा व अन्य सामान रखा गया है। देश के अलग-अलग हिस्सों से बड़ी संख्या में लोग इस जेल को देखने आते हैं। एक संग्रहालय भी बनाया गया है, जिसमें जेल व डगशाई से जुड़ी स्मृतियों को संग्रह किया गया है।
जेल को देखकर ही इस बात का अंदाजा लगाया जा सकता है कि ब्रिटिशकाल के दौरान कैदियों को कितनी कठोर यातनाएं दी जाती होंगी। सनद रहे कि इस जेल में ब्रिटिश हुकूमत ने बागी सिख सैनिकों को भी बंद किया था, जिन्हें बाद में फांसी दे दी गई।