एमबीएम न्यूज़ / पावंटा साहिब
जिला के दूर-दराज पहाड़ी क्षेत्र शिलाई में बीते माह अनेकों जानलेवा दुर्घटनाएं होने के बाद भी यहां के निजी वाहन चालक ओवरलोडिंग से बाज नहीं आ रहे हैं। बीते करीब 6 माह में यहां दर्जनों ऐसी दुर्घटनाएं हो चुकी हैं। जिसमें अनेकों लोग अपनी जान गवां चुके हैं। दर्जनों लोग गंभीर रूप से घायल हो कर अपाहिज हो चुके है। परंतु यहां की तंग सड़कों पर तेज गति से वाहन दौड़ाने वाले नौसिखिया चालक अभी तक इन वारदातों से कोई सबक नहीं ले रहे हैं। आए दिन यहां ओवरलोडिंग के कारण अनेकों दुर्घटनाएं हो रही है।

परंतु पुलिस और प्रशासन ने अभी तक गंभीरता से इस ओर कोई कदम नहीं उठाया है। प्रत्येक हादसे के बाद प्रशासन द्वारा ओवरलोडिंग वह नौसिखिए चालकों पर शिकंजा कसे जाने के खोखले वादे किए जाते हैं। परंतु जिले के इस दुर्गम क्षेत्र की सुविधाओं व दिक्कतों को हल करने के लिए आज तक अधिकारियों सहित किसी भी नेता ने गंभीरता से कोई कदम उठाने की जहमत नहीं उठाई है।
वीरवार को भी क्षेत्र की वन-वे सड़कों पर ऐसे ही नज़ारे देखने को मिले। शिलाई क्षेत्र के कमरऊ में चल रही चूना पत्थरों की खदानों से ओवरलोड ट्रक तेज गति से सड़कों पर दौड़ रहे हैं। इसके साथ ही यहां यातायात की सुविधा प्रदान करने वाली निजी बसें भी चंद पैसों के लालच में यातायात नियमों की सरेआम धज्जियां उड़ाते हुए। बसों के अंदर व छतों पर ठूस-ठूस कर यात्रियों को भर रहे हैं।
वर्षा के दिनों में खस्ताहाल हो चुकी इन सड़कों की दुर्दशा किसी से छिपी नहीं है। ऐसे में ओवरलोडिड तेज रफ्तार वाहन प्रति मिनट किसी बड़े हादसे को न्योता दे रहे हैं। अब ऐसे में सवाल यह उठता है कि क्षेत्र में सीमित यातायात साधन होने के कारण क्या इस तरह से ट्रैफिक नियमों का उल्लंघन करते हुए ओवरलोडिंग करना सही है। आज तक सरकारी विभागों ने कभी इस दिशा में कोई ठोस कदम क्यों नहीं उठाए हैं।
प्रतिमाह दर्जनों जानलेवा हादसों के बाद भी अधिकारी इस ओर गंभीरता से ध्यान क्यों नहीं दे रहे हैं। वर्षा ऋतु के इस समय में पहाड़ धंसने व भूसंख्लन से पूर्णतः मिट्टी से चिकनी हो चुकी सड़कों पर यदि पुनः कोई बड़ा हादसा होता है। उसका जिम्मेदार कौन होगा। सरेआम नियमों की धज्जियां उड़ती देख मौन प्रशासन व निजी वाहन चालक शायद किसी बहुत बड़े हादसे के इंतजार में हैं।