एमबीएम न्यूज़ / सोलन
बुधवार को एक 11 महीने की मासूम बच्ची दीक्षा को 108 की आपातकालीन सेवा नहीं मिल पाई। गरीब माता पिता को निजी टैक्सी से उसे आईजीएमसी शिमला ले जाना पड़ा, जबकि एंबुलेंस अस्पताल के बाहर ही खड़ी थी। दीक्षा के पिता को बार-बार 108 नंबर पर फोन करने पर भी कोई सकारात्मक उत्तर नहीं मिल पाया।
पिछले कुछ दिनों से चल रही 108 के कर्मचारियों की हड़ताल समाप्त तो हो गई, लेकिन स्थिति अभी भी पटरी पर नहीं लौटी है। हालांकि स्वास्थ्य विभाग ने अपने चालक भी आपातकालीन वाहनों में तैनात किए हैं, फिर भी लोगों को इन सेवाओं का लाभ नहीं मिल पा रहा है। क्षेत्रीय अस्पताल सोलन के शिशु वार्ड में उपचाराधीन 11 महीने की मासूम दीक्षा को उसकी गंभीर हालत को देखते हुए आई.जी.एम.सी. शिमला रैफर किया गया।
इसके बाद दीक्षा के पिता ने 108 नंबर पर एंबुलेंस के लिए मांग की, लेकिन पहले तो कर्मचारियों ने एंबुलेंस उपलब्ध न होने की बात कही, लेकिन जब बार-बार फोन किया गया तो फोन ही बिजी आने लगा। काफी समय इंतजार करने पर भी जब 108 एंबुलेंस उपलब्ध नहीं हो पाई तो उन्हें निजी टैक्सी से बच्ची को शिमला ले जाना पड़ा। बच्ची को ऑक्सीजन की आवश्यक्ता थी और टैक्सी में ऑक्सीजन उपलब्ध न होने के कारण अस्पताल प्रशासन से ऑक्सीजन सिलेंडर की मांग की गई। ऑक्सीजन लगाकर दीक्षा को निजी वाहन से आईजीएमसी शिमला जाना पड़ा।
सभी एंबुलेंस थी व्यस्त
शिमला जाने को एंबुलेंस के लिए फोन आया था, लेकिन उस समय मौके पर कोई भी एंबुलेंस उपलब्ध नहीं थी। जब एंबुलेंस उपलब्ध हुई तो वह मरीज को निजी वाहन में लेकर जा चुके थे।
सोलन में उपलब्ध 108 कर्मचारियों के अलावा स्वास्थ्य विभाग व अन्य होमगार्ड के चालकों की सेवाएं ली जा रही हैं। एंबुलेंस सेवा को सुचारू रूप से चलाया जा रहा है व इस पर कड़ी नजर रखी जा रही है। दीक्षा को एंबुलेंस क्यों नहीं मिल पाई इसकी जांच की जाएगी।
डा. एन.के. गुप्ता, जिला चिकित्साधिकारी, सोलन।