एमबीएम न्यूज़/शिमला
हिमाचल प्रदेश को झकझोर कर रख देने वाले कोटखाई के बहुचर्चित गुडि़या हत्याकांड को एक साल पूरा हो गया है। पिछले वर्ष 4 जुलाई को आज ही के दिन गुडि़या संदिग्ध हालात में लापता हो गई थी और उसका नग्न शव कोटखाई के तांदी जंगल में पड़ा मिला था। दसवीं की नाबालिग छात्रा को दुष्कर्म के बाद बड़ी बर्बरता से मौत के घाट उतारा गया था और जंगल में खुले आकाश के नीचे उसके शव को फेंक कर आरोपी फरार हुए।
करीब 9 माह बाद सीबीआई ने एक आरोपित को गिरफ्तार कर मामले को सुलझाने का तो दावा किया, लेकिन यह लोगों के गले नहीं उतर रहा है। दरअसल आरोपी पेड़ काटने वाला चिरानी है और यह हैरत में डालने वाला है कि चिरानी को गिरफ्तार करने के लिए सीबीआई को 9 महीने लग गए। बीते 13 अप्रैल को सीबीआई ने आरोपी को शिमला जिले के कोटखाई से गिरफ्तार किया था। इसके बाद सीबीआई आरोपी को रिमांड के लिए दिल्ली ले गई, जहां उससे पूछताछ की गई।
पिछले दिनों कोर्ट में पेशी के दौरान आरोपी अनिल ने चौंकाना वाला बयान दिया कि उसने गुडि़या को मौत के घाट नहीं उतारा है और इस केस में वह ट्रायल का सामना करने को तैयार है। फिलहाल आरोपी के खिलाफ कोर्ट में ट्रायल चल रहा है। सीबीआई की तरफ से बताया गया कि अनिल ने ही गुडि़या को दुष्कर्म के बाद मौत के घाट उतारा था और इस जघन्य हत्याकांड में वह ही मुख्य आरोपी है। इसके पीछे सीबीआई ने आरोपी के डीएनए मिलान की दलील दी। लेकिन गुडिया के परिजनों के जहन में कई ऐसे सवाल हैं, जिनका अभी तक जवाब नहीं मिल पायाहै।
गुडि़या के पिता का भी यह मानना है कि उनकी बेटी के साथ दरिंदगी व हत्या में एक अपराधी शामिल नहीं था। उन्होंने कहा कि वह सीबीआई जांच से संतुष्ठ तो हैं, लेकिन कई ऐसे सवाल हैं, जिनका अभी तक जवाब नहीं आया है। जैसे जहां गुडि़या का कत्ल बताया गया, वहां पर से उसकी एक जुराब क्यों गायब थी ?
उनका कहना है कि आरोपी जो भी हो, उसे फांसी से कम सजा नहीं मिलनी चाहिए। बता दें कि इस मामले को सुलझाने के लिए सीबीआई पर हाईकोर्ट का भारी दवाब था। दरअसल हाईकोर्ट इस पूरे मामले की निगरानी कर रहा था और प्रत्येक सुनवाई में सीबीआई से मामले की प्रगति रिपोर्ट तलब कर रहा था। जांच में हो रही देरी पर हाईकोर्ट ने सीबीआई को कई सुनवाइयों में फटकार भी लगाई। अपराधियों का सुराग देने वालों पर सीबीआई ने 10 लाख का ईनाम भी घोषित किया था।
इस मामले ने राजनीतिक गलियारों से लेकर पूरे सूबे को हिला कर रख दिया था। बीते वर्ष नवंबर में हुए विधानसभा चुनाव में विपक्ष ने इसे मुद्दा बनाया था और तत्कालीन सरकार को चुनाव में पराजय का सामना करना पड़ा। प्रदेश पुलिस की एसआईटी पर गुडि़या मामले की जांच में लापरवाही बरतने का आरोप लगा और लोगों का गुस्सा इस कदर भड़का कि कोटखाई थाने को ही आग के हवाले कर दिया गया। कोटखाई से लेकर शिमला तक जगह-जगह सड़कें जाम कर लोगों ने प्रदर्शन किया।
बैकफुट पर आई तत्कालीन कांग्रेस सरकार ने मामले की सीबीआई जांच की सिफारिश की। 18 जून को जब कोटखाई थाने के लॉकअप में एक आरोपित सूरज की हत्या ने जांच कर रही एसआईटी की परेशानी को और ज्यादा बढ़ा दिया। इस मामले के तूल पकड़ने पर हालात बेकाबू देख प्रदेश हाईकोर्ट ने स्वतः संज्ञान लिया और जांच के लिए मामला सीबीआई के सुपूर्द किया।
गुडि़या प्रकरण से ही जुड़े सुरज हत्याकांड मामले में एसआईटी के प्रमुख व तत्कालीन आईजी जहूर जैदी, शिमला के पूर्व एसपी डीडब्लयू नेगी व ठियोग के पूर्व डीएसपी मनोज जोशी सहित नौ पुलिस वाले भी जेल में बंद हैं। इनके खिलाफ भी कोर्ट में ट्रायल शुरू हो गया है। सूरज सहित छह लोगों को एसआईटी ने 12 जुलाई 2017 को गुडि़या मामले में गिरफतार किया था। 18 जुलाई 2017 को सूरज की कोटखाई थाने के लॉकअप में हत्या कर दी गई।
अनमोल जीवन देकर क्या मिला गुडिय़ा को …
गुडिय़ा की पहली बरसी पर सवाल यह है कि उस मासूम बच्ची को क्या मिला। अब तक परिवार न्याय के लिए टकटकी लगाए बैठा है। राजनीतिक रोटियां सेंक ली गई, बेटियों की सुरक्षा को लेकर अपना अनमोल जीवन देकर गुडिय़ा एक हेल्पलाइन दे गई, जिसे गुडिय़ा हेल्पलाइन नाम दिया गया। देश के इतिहास में ऐसा पहली बार ही हुआ, जब आईजी स्तर के अधिकारी भी अंदर हो गए।
गौरतलब है कि एमबीएम न्यूज नेटवर्क ने ही सबसे पहले हलाईला के जंगल में लापता स्कूली छात्रा का शव बरामद होने की खबर प्रकाशित की थी। हेल्पलाइन के अलावा इलाके के टाली स्कूल को अपग्रेड किया गया। यह अलग बात है कि सरकार आज तक भी इस स्कूल में मूलभूत सुविधाएं नहीं दे पाई है। पहली बरसी पर गुडिय़ा की आत्मा अगर कुछ मांग रही होगी तो वो है न्याय। साथ ही चाह रही होगी कि उसके साथ की छात्राओं के साथ इस तरह का खौफनाक वाकया न बीते। गुडिय़ा की बरसी पर आज वो तमाम मंच खामोश हैं, जो सडक़ों पर पत्थरबाजी कर न्याय मांग रहे थे।