एमबीएम न्यूज़/पांवटा साहिब
शहर में टर्मिनल मण्डी का काम अधूरा पडा है। क्षेत्र के करीब 1 लाख किसानों और बागबानों के लिये यही एकमात्र मंडी है जिसमें आजतक सुविधाओं का अभाव है। करीब 3 वर्ष पहले यहां सब्ज़ी मंडी को हाईटेक कर उसमें कोल्ड स्टोर, फसल स्टोर राईसिंग चेंबर व अतिरिक्त दुकाने आदि बनाने के लिये तत्कालीन मुख्यमंत्री द्वारा अप्रैल 2015 में करोडों का बजट दिया गया था परंतु आजतक यह काम अधर में लटका हुआ है।
जिसके कारण आज भी बागबानों की फसलें यहां आकर तबाह हो रही हैं। पांवटा साहिब में स्थित सब्ज़ी व अनाज मण्डी आस-पास के लगभग 1 लाख किसानों व बागबानों की फसलों को बेचने का एकमात्र मंच है। जिस पर पांवटा क्षेत्र सहित शिलाई क्षेत्र, रेणुका के धारटीधार व नाहन के माजरा, धौलाकुआं, कोलर आदि क्षेत्रों के लोग आश्रित हैं। वर्ष 2015 में तत्कालीन मुख्यमंत्री वीरभद्र सिंह द्वारा इसे टर्मिनल मंडी बनाये जाने के लिये कई योजनाओं के शिलान्यास किये गये थे। जिनके लिये करोडों के बजट भी दिये गये थे।
परंतु 3 वर्षों से अधिक का समय बीत जाने के बाद भी यह योजना अधर में लटकी हुई है। यहां रखी निर्माण सामग्री धूल फांकती हुई जंग खा रही है। हालांकि फसल स्टोर की छत, राईसिंग चेंबर जैसे कुछ कार्यों को पूर्ण भी कर दिया गया है। परंतु जिस मुख्य मांग को लेकर यह कवायद शुरू की गई थी वह अभी तक अधूरी ही पडी है। अभी तक न तो कोल्ड स्टोर बन पाया है और न ही फसलों के लिये अतिरिक्त दुकानों का निर्माण हो सका है। लिहाज़ा यहां पहुंचने वाला सैंकडों टन फल खराब हो रहा है।
इस बाबत कृषि उपज मण्डी के सचिव राम नाथ चौधरी ने बताया कि करीब 2 करोड 21 लाख रूपयों की लागत से बने राईसिंग चेंबर और करीब 54 लाख रूपयों से उसकी छत का काम पूर्ण कर लिया गया है। जिससे अब एफएसआई के नियमों के अनुसार फसलों के स्टाक को एकत्रित कर बाद में एकसाथ एफएसआई को बेचा जा सकता है। इसके अलावा करीब 2 करोड 9 लाख की लागत से निर्माणाधीन कोल्ड स्टोर का काम अभी चल रहा है।
जिसमें आगामी सितम्बर 2018 तक रेफ्रिजिरेशन सेटप लहाने का कार्य शुरू कर दिया जायेगा। एपीएमसी के सचिव ने बताया कि इसके अतिरिक्त अन्य 10 दुकानें बनाने का प्रस्ताव भी निदेशक के पास भेजा गया है जिससे फसलों को बेचने में अधिक सुविधा होगी। साथ ही जापानी तक्नीक से स्थापित किये जाने वाले टेक्निकल पोस्ट हार्वेस्ट प्लांट की भी मांग रखी गई है। जिसमें बागबानों द्वारा उगाई गई अच्छी गुणवत्ता की अदरक, टमाटर, सेब, आडू, केला आदि का जैम या चटनी जैसे उत्पाद तैयार किये जा सके। जिससे किसानों की आय में बढोतरी होगी।
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