एमबीएम न्यूज़ / शिमला
हिमाचल प्रदेश जूनियर ऑफिस अस्सिटेंट (447 और 556) संघर्ष संघ ने जारी एक बयान में कहा हैं कि हिमाचल कर्मचारी चयन आयोग द्वारा विज्ञापित पदों की भर्ती नियमों से होनी चाहिए। बेरोजगारों ने कहा हैं कि योग्य उम्मीदवारों को ही लिखित परीक्षा में बिठाया जाए। आयोग की कार्यप्रणाली पहले से ही सवालों के घेरे में हैं, अंतिम परिणाम में अयोग्य उम्मीदवारों का चयन किया गया हैं। जिसमे जूनियर ऑफिस अस्सिटेंट (447) भी शामिल हैं।
आयोग को यदि भर्ती नियमों में कोई संशय हो तो उसे रोल नंबर जारी करने से पहले ही निपटा ले। आयोग की लेटलतीफी की वजह से बेरोजगारों को खमियाजा भुगतना पड़ता हैं। कंप्यूटरो ऑपरेटर पोस्ट कोड 592 में आयोग ने अयोग्य उम्मीदवारों को नोटिस के द्वारा लिखित परीक्षा में न बैठने की सलाह दी, जो कि आयोग की कार्यप्रणाली पर सवाल खड़े करता हैं।
इसी तरह स्टेनोग्राफर पोस्ट कोड 546 में दो वर्षों के बाद आए अंतिम परिणाम में आयोग को पता चला कि मेरिट में आए उम्मीदवार भर्ती नियमों के विपरीत हैं। आयोग ने जूनियर ऑफिस अस्सिटेंट आईटी-447 में साक्षात्कार के बाद नोटिस निकाल कर कहा कि 3964 में से 2261 अभ्यार्थी भर्ती नियमों के विपरीत हैं। आयोग मात्र शपथपत्र पर अयोग्य उम्मीदवारों को नौकरी देगा। इस भर्ती में आयोग ने भर्ती नियमो की धज्जियां उड़ा दी, अपात्रों को नौकरी दे दी। इसी गैर जिम्मेदारी और असंवैधानिक आदेश की वजह से जूनियर ऑफिस अस्सिस्टेंट 447 और 556 पर न्यायालय में 14 केस लंबित हैं।
आयोग के पूर्व सचिव ने सरकार से जूनियर ऑफिस अस्सिस्टेंट में कंप्यूटर डिप्लोमा की मान्यता बारे स्पष्टीकरण मांगा था, जिसमें सरकार ने कहा था कि नियम शीशे की तरह साफ़ हैं। केवल मान्यता प्राप्त कंप्यूटर डिप्लोमा को ही स्वीकार किया जाए। लेकिन सभी नियमों को ताक में ऱखकर नियुक्तिया दे दी गई।
आयोग को एक भर्ती के लिए 3 साल का समय लग रहा हैं, 3 साल बाद आयोग कहता हैं कि मेरिट में आए उम्मीदवार भर्ती नियमों के विपरीत हैं। आयोग भर्ती नियमों को दरकिनार कर अपात्र उम्मीदवारो की पैरवी करता हैं, जैसा कि आयोग ने जूनियर ऑफिस अस्सिटेंट (आईटी )447 में किया।
बेरोजगारों ने कहा हैं कि आयोग हमेशा भर्ती प्रक्रिया में पारदर्शिता की बात करता हैं, लेकिन आयोग के दावों की पोल उस समय खुल जाती हैं। जब अयोग्य उम्मीदवारों को नौकरी दे दी जाती हैं या फिर साक्षात्कार के बाद भर्ती नियमों के विपरीत होने का हवाला देकर बाहर कर दिया जाता हैं। आयोग को लिखित परीक्षा से पूर्व ही अयोग्य उम्मीदवारों को भर्ती प्रक्रिया से बाहर कर देना चाहिए। यदि आयोग इस बार भी अयोग्य उम्मीदवारों को लिखित परीक्षा में बैठाता हैं, तो सभी योग्य बेरोजगार युवा एक मंच पर लामबंद होकर आयोग के खिलाफ़ सड़को पर उतर जाएंगे।
बेरोजगारों ने कहा हैं कि इस बारे वो मुख्यमंत्री जय राम ठाकुर से भी मुलाकात कर चुके हैं, यदि जरूरत पड़ी तो दोबारा मुख्यमंत्री से इस बारे बात की जाएगी। बेरोजगारों ने कहा कि प्रशासनिक सुधार आयोग को भी इस बारे अवगत करवाया जाएगा। यदि आयोग फिर से गलती दोहराता हैं तो बेरोजगार युवा सरकार को अपनी डिग्रिया सौंप देंगे।
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