एमबीएम न्यूज़/ शिमला
एसएफआई का चार दिवसीय राष्ट्रीय सम्मेलन पहली बार हिमाचल प्रदेश की राजधानी शिमला में होगा। एसएफआई के 48 सालों के इतिहास में पहली बार हिमाचल को राष्ट्रीय सम्मेलन की मेजबानी मिली है। इसके लिए एसएफआई की प्रदेश कमेटी तैयारियों में जुट गई है। इस सम्मेलन में 700 से अधिक प्रतिनिधि हिस्सा लेंगे। छात्रों से जुड़े तमाम मुद्दों पर चार दिन तक चर्चा चलेगी।
एसएफआई के राज्य अध्यक्ष बिक्रम कायथ ने आज यहां प्रेस वार्ता में बताया कि राष्ट्रीय सम्मेलन का आयोजन 30 अक्टूबर से 2 नवंबर तक होगा। इस सम्मेलन में पूरे देश के 700 से अधिक प्रतिनिधि हिस्सा लेंगे। उन्होंने कहा कि इस सम्मेलन में केंद्र सरकार की शिक्षा विरोधी नीतियों के खिलाफ रूपरेखा तैयार की जाएगी। उन्होंने कहा कि रूसा को खत्म करने, एससीए चुनाव की बहाली सहित अन्य मांगों को लेकर एसएफआई 30 अक्टूबर को शिमला में एक विशाल रैली भी करेगी।
उन्होंने आरोप लगाया कि केंद्र व राज्य की भाजपा सरकार शिक्षण संस्थानों का भगवाकरण कर रही है। इसी साल केंद्र सरकार ने शिक्षा के बजट में कटौती कर उसे 3.69 फीसदी से हटाकर 3.45 फीसदी पर लाकर खड़ा कर दिया। रूसा को पूरे देश मे लागू करने से शिक्षा के स्तर में लगातार गिरावट आ रही है। उन्होंने राज्य की भाजपा सरकार पर रूसा के नाम पर राजनीति करने का आरोप जड़ा।
कहा कि रूसा को लेकर भाजपा ने छात्रों को गुमराह किया है। कायत ने कहा कि विस चुनाव के वक्त अपने चुनावी घोषणा पत्र में भाजपा ने रूसा प्रणाली को खत्म करने का वायदा किया था। लेकिन सत्तासीन होने पर भाजपा इससे पलट गई। सिर्फ़ समेस्टर प्रणाली को ही समाप्त किया गया। पिछले दिनों शिमला के आईएसबीटी में चंदा मांगने के दौरान एक यात्री से हाथापाई करने के मामले पर बिक्रम कायथ ने कहा कि इस घटना में केवल एसएफआई कार्यकर्ता को दोषी ठहराना उचित नहीं है।
चंदा मांगे जाने के दौरान यात्री ने हमारे कार्यकर्ता को नक्सली व देशद्रोही कहा था, इस वजह से झगड़ा हुआ। उन्होंने कहा कि एसएफआई यह सुनिश्चित करेगी कि भविष्य में ऐसी घटना ना हो। हाथापाई करने वाले एसएफआई कार्यकर्ता को संगठन की तरफ से कारण बताओ नोटिस जारी किया गया है।
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