मोक्ष शर्मा / नाहन
शहर की तंग सडक़ों पर ट्रैफिक की हालत बदहाल हो रही है। चूंकि हिमाचल विधानसभा के अध्यक्ष पद पर तेजतर्रार व कुशल प्रबंधक डॉ. राजीव बिंदल तैनात हैं, जो निर्वाचन क्षेत्र का विधायक के तौर पर प्रतिनिधित्व करते हैं। लिहाजा उनसे इस समस्या को लेकर भी उनसे जन आकांक्षाएं लगातार बढ़ती जा रही हैं।

शहरवासी चाहते हैं कि एक बार विधानसभा अध्यक्ष अलग-अलग समय पर सर्कुलर रोड (कच्चा टैंक पुलिस पोस्ट-देहली गेट-गोविंदगढ़-वाल्मीकि बस्ती) का अचानक ही पैदल चलकर ट्रैफिक का अवलोकन करें। इससे आम के आम गुठलियों के दाम होंगे। फिटनेस भी होगी तो ट्रैफिक की समस्या का भी पता चल जाएगा। साथ ही जनसंपर्क अभियान भी हो जाएगा। निरीक्षण के दौरान यह भी खुलासा हो जाएगा कि संकीर्ण सडक़ों पर हालात क्या होते हैं।
इतना जरूर है कि जब टीम पैदल निकले तो किसी को भी भनक नहीं लगनी चाहिए। अधिकारी व पार्टी कार्यकर्ताओं का जमावड़ा भी नहीं होना चाहिए, क्योंकि खबर लगने की सूरत में ट्रैफिक चुस्त-दुरुस्त भी हो सकता है। निश्चित तौर पर अगर अचानक ही निरीक्षण किया जाता है तो ट्रैफिक व्यवस्था की पोल खुलकर सामने आ जाएगी। इस दौरान यह भी पता चल जाएगा कि कैसे राहगीरों को सडक़ों पर चलने के लिए जोखिम उठाना पड़ता है। साथ ही सडक़ों के किनारे खड़े वाहन समस्या को कैसे बढ़ा देते हैं।
इस रूट पर कच्चा टैंक चौक, रानीताल गेट, गुन्नुघाट व देहली गेट के अलावा मोहल्ला गोविंदगढ़ अति संवेदनशील हैं। लालटेन चौक का तीखा मोड़ हर वक्त दुर्घटनाओं को न्यौता देता है। इसमें कोई दो राय नहीं है कि संकीर्ण सडक़ें पहले सुरक्षित थी, लेकिन अब हर दिन वाहनों में इजाफा हो रहा है।
आलम यह भी है कि कई घरों में दो या अधिक दुपहिया वाहन आ चुके हैं। शहरवासी एक तर्क देते हैं कि पार्किंग नहीं है, लेकिन गौर किया जाए तो पहले से उपलब्ध पार्किंग स्थल खाली पड़े हुए हैं। सडक़ों व सरकारी जमीनों पर निशुल्क पार्किंग मिलने पर वाहन मालिक भी पेड पार्किंग की तरफ नहीं बढऩा चाहते। रात के वक्त दुपहिया वाहनों की गति भी भयावक हो जाती है। गौरतलब है कि यह समस्या फिर इस कारण चर्चा में है, क्योंकि बीती देर शाम एक स्कूटी सवार ने एक बुजुर्ग को मॉलरोड पर ठोक दिया था।
अब देखना यह है कि प्रदेश में अहम ओहदा हासिल करने वाले विधानसभा अध्यक्ष इस बड़ी समस्या के समाधान को लेकर क्या ठोस मास्टर प्लान बनाते हैं। इसमें भी कोई दो राय नहीं है कि वो वक्त आ चुका है, जब शहर के भीतर बसों समेत बड़े वाहनों की आवाजाही पर प्रतिबंध लगाया जाए।