एमबीएम न्यूज़ / पावंटा साहिब
सरकार द्वारा गरीब जनता को मुफ्त मेडिकल सुविधा के लिए सरकारी अस्पताल स्थापित किए जाते हैं। परंतु अक्सर इन अस्पतालों में गरीबों और लाचारों को उसी तरह ठोकरें मार कर निकाल दिया जाता है जिस प्रकार सडकों पर लाचार भिखारियों को दुत्कारा जाता है। सिविल अस्पताल पांवटा में भी शुक्रवार की शाम कुछ ऐसा ही नज़ारा देखने को मिला।
यहां शारीरिक रूप से अक्षम व्यक्ति जब हड्डी रोग विशेषज्ञ के पास अपना अपंगता का प्रमाण पत्र बनवाने गया तो न केवल उसके साथ अभद्रता की गई बल्कि उसके कागज़ फेंक कर बाहर निकल जाने को भी कहा गया।
बाद में उसे अस्पताल सिक्योरिटी व पुलिस की धमकी देकर बाहर निकाल दिया गया। विकलांग के साथ अभद्रता की सारी करतूत मीडिया के कैमरों में कैद हो गई। जैसे ही डॉक्टर साहब को मीडिया का आभास हुआ तो सुर बदल गए। शराफत से उन्होंने कागज़ों पर आगामी तारीख डाल दी।
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हमेशा से डाक्टरों के व्यवहार को लेकर विवादों में रहे सिविल अस्पताल में अब गरीब जनता यहां तैनात चिकित्सकों की बेरुखी और बदसलूकी को चुपचाप सहने को मजबूर है। बीते शुक्रवार की दोपहर अस्पताल में उस वक्त हंगामा हो गया। यहां तैनात हड्डी रोग विशेषज्ञ के पास जब एक अपंग व्यक्ति अपना प्रमाण पत्र बनवाने गया तो डाक्टर साहब भडक उठे और उसे खरी खोटी सुनाने लगे।
इतना ही नहीं डाक्टर साहब ने एक टांग़ से अक्षम व्यक्ति के कागज़ दूसरी ओर ज़मीन पर दे मारे और उसे बाहर निकल जाने को कहा। उसके बाद जब विक्लांग पुनः डाक्टर के फ्री हो जाने पर सांय करीब छः बजे हस्ताक्षर कराने गया तो डाक्टर साहब उस पर बरस पडे। अभद्र शब्द कहते हुए उसे अस्पताल से निकल जाने को कहा।
अपनी दाएं टांग से विकलांग 35 वर्षीय लाल चन्द पुत्र पुरनचन्द निवासी वार्ड-5 ने बताया कि कुछ समय पहले एक दुर्घटना में उसकी टांग खराब हो गई थी। अब सीनियर मेडिकल ऑफिसर ने भी उसका प्रमाण पत्र बनाने के लिए कागज़ों पर हस्ताक्षर कर दिये हैं। केवल हड्डी रोग विशेषज्ञ द्वारा प्रमाण पत्र बनाया जाना है। अस्पताल के सामने ही छोटी सी चाय की रेडी चला रहे लालचंद को बार-बार अपनी दुकान बन्द कर डाक्टर के पास जाना पडता है। परंतु हर बार उसे दुत्कार कर बाहर निकाल दिया जाता है।
पीडित विकलांग पिछले करीब 4 माह से डाक्टर के दर पर प्रमाण पत्र बनाने की भीख मांग रहा है।परंतु उसे हर बार अगले माह की 20 तारीख को आने को कहा जाता है। गालियां देकर बेइज्जत कर निकाल दिया जाता है। साथ ही कहा जाता है कि पीजीआई चंडीगढ जाकर वह अपने कागज़ बनाये। देखता हूं यहां कैसे बनते हैं तेरे कागज़। चाहे जहां चला जा, मैं नहीं करता तेरा काम। अब भला डाक्टर साहब को गरीब विकलांग से ऐसी भी क्या नाराज़गी होगी। बहरहाल कागज़ों पर हस्ताक्षर न करने के कारण पूछने पर हर बार उसे सिक्योरिटी गार्ड्स व पुलिस की धमकी देकर वापस भेज दिया जाता है।
पांवटा साहिब सिविल अस्पताल पहले भी कई बार डाक्टरों की कार्यप्रणाली को लेकर विवादों में रहा है। ऊपर से गरीब व अक्षम लोगों के साथ किया जा रहा असहनीय दुर्व्यवहार ईश्वर तुल्य चिकित्सकों पर बडे सवाल खडे करता है। ऐसे में गरीब जनता आखिर जाये तो जाये कहां? वही इस सारे मामले पर हड्डी रोग विशेषज्ञ डाक्टर कोहली सफाई देते नज़र आये। उन्होंने कहा कि किसी के साथ कोई अभद्रता नही की गई है। विकलांगता का प्रमाण पत्र हर माह 20 तारीख को बोर्ड की मीटिंग में बनाये जाते हैं।पीडित व्यक्ति को अगले माह बुलाया गया है।