एमबीएम न्यूज़ / शिमला
जलसंकट के चलते फजीहत झेलने वाली शिमला नगर निगम में राजनीति गरमाने लगी है। मई महीने के आखिर में पानी की घोर किल्लत पर शहरवासियों और विपक्षी पार्षदों के निशाने पर रही शिमला नगर निगम की मेयर कुसूम सदरेट के खिलाफ उनकी ही पार्टी के पार्षदों ने मोर्चा खोल दिया है। आधे दर्जन से अधिक भाजपा के पार्षद मेयर की कार्यप्रणाली से खासे नाराज हैं और उन्हें बदलने की कवायद में जुट गए हैं।
तीन दशक बाद पहली बार निगम की सत्ता पर काबिज होने वाली भाजपा में अंतर्कलह इस कदर बढ़ गई है कि एक साल का कार्यकाल पूरा होने का न तो मेयर और न ही भाजपा पार्षदों ने किसी तरह का जश्न मनाया। विगत वर्ष 20 जून को शिमला नगर निगम पर भाजपा ने पहली बार कब्जा जमाया था और कुसूम सदरेट को मेयर के पद पर बिठाया।
मेयर बनने के बाद कुसूम सदरेट लगातार दावे कर रही हैं कि उनके नेतृत्व में शहर में कई विकास कार्य चल रहे हैं और सभी वार्डों का संतुलित विकास हो रहा है। लेकिन भाजपा पार्षदों को यह अखर नहीं रहा है और वे कई बार मेयर को निशाने पर ले चुके हैं। भाजपा की महिला पार्षद आरती चौहान तो मेयर के खिलाफ खुले तौर पर बगावत कर चुकी हैं। वह कई मर्तबा सार्वजनिक रूप से मेयर की कार्यप्रणाली पर सवाल खड़े कर चुकी हैं। करीब आधा दर्जन से अधिक भाजपा पार्षदों का आरोप है कि निगम में ना उनकी सुनवाई नहीं हो रही है और उनके वार्ड में कोई कार्य नहीं हो रहे हैं।
पिछले दिनों पार्षदों ने स्थानीय विधायक व शिक्षा मंत्री सुरेश भारद्वाज से भेंट कर मेयर की कार्यप्रणाली से अवगत करवाया। चर्चा यह भी है कि मेयर कुसुम सदरेट को पद से हटाने के लिए भाजपा के कई पार्षदों ने मंत्री को लिखित में एक अर्जी दी है। हालांकि इस बात की सच्चाई जानने के लिए जब भाजपा पार्षदों से बात की गई तो किसी ने कोई स्पष्ट जवाब नहीं दिया, लेकिन भाजपा के कई वरिष्ठ और नये पार्षदों ने इस बात का संकेत जरूर दिया कि वे महापौर से असंतुष्ट हैं।
भाजपा पार्षद आरती चौहान ने तो दो टूक कह दिया कि निगम की सरकार में उनकी जरा भी सुनवाई नहीं हो रही है। उनके वार्ड में विकास कार्य ठप्प हैं। मेयर सदरेट अपनी जिम्मेवारी का निर्वहन करने में असमर्थ हैं और उन्हें अपने पद से त्यागपत्र दे देना चाहिए। इसी तरह अन्य कुछ पार्षद भी मेयर के कामकाज से नाखुश हैं। इनका कहना है कि जनता ने जो उम्मीदें उनसे की थी, वे पूरी नहीं हुई हैं। महापौर के चीन दौरे पर भी पार्षद यह कहते हुए सवाल उठा चुके हैं कि पेयजल संकट के समय में मेयर को चीन दौरा टालना चाहिए था।
बहरहाल भाजपा संगठन व सरकार के लिए अपने पार्षदों को विश्वास में लेना चुनौती नहीं है और सरकार की ओर से इसकी जिम्मेवारी स्थानीय विधायक व शिक्षा मंत्री सुरेश भारद्वाज को दी गई है। उल्लेखनीय है कि तीन दशक बाद जून 2017 में भाजपा शिमला नगर निगम की सत्ता पर काबिज हुई थी। 34 सदस्यीय नगर निगम में भाजपा व उनको समर्थन देने वाले 19 पार्षद हैं, जबकि कांग्रेस के 14 और एक पार्षद माकपा का है।
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