एमबीएम न्यूज़ /धर्मशाला
अगर इंसान के मन में कुछ करने का जज्बा और लग्न हो तो छोटे छोटे प्रयास बड़ी सफलता का आधार बन जाते हैं। पालमपुर तहसील के पनापर गांव के ऋषभ कुमार इस बात को सही रूप में चरितार्थ करते हैं। ऋषभ ने अपने अद्भुत साहस एवं इच्छाशक्ति से सभी कठिनाईयों को पराजित किया और सफलता के शिखर को छुआ।
ऋषभ प्लंबिंग का थोड़ा बहुत कार्य जानते थे, मगर निरंतर प्रयास एवं कौशल उन्नयन से उन्होंने इस कार्य को आजीविका का अच्छा जरिया बना लिया और एक नई सामाजिक पहचान बनाने में सफल हुए हैं। मध्यमवर्गीय परिवार के ऋषभ घर की तंगहाली के चलते दसवीं की पढ़ाई पूरी करने के साथ ही नौकरी ढूंढ़ने के प्रयास करने लगे थे। दरअसल ऋषभ के पिता कृपाल सिंह गांव में ही प्लंबिंग का कार्य करते थे।
जिससे थोड़ी बहुत आमदनी हो जाती थी। परन्तु वह इतना नहीं कमा पाते थे कि परिवार का सही ढंग से लालन-पालन कर सकें। घर चलाने में मदद के ख्याल से ऋषभ ने नौकरी की तलाश की मगर काई काम जमा नहीं। इस दौरान ऋषभ ने भी अपने पिता के साथ काम में हाथ बंटाना शुरू कर दिया। जिससे घर की आमदनी में थोड़ी वृद्धि हुई।
एक दिन ऋषभ को अपने एक मित्र से पंजाब नैशनल बैंक ग्रामीण स्वरोजगार प्रशिक्षण संस्थान द्वारा चलाए जा रहे प्रशिक्षण कार्यक्रम का पता चला। वे तुरन्त ग्रामीण स्वरोजगार प्रशिक्षण संस्थान के निदेशक से मिले तथा उनके सुझाव के अनुसार प्लंबिंग के 21 दिन के कोर्स के लिए आवेदन कर दिया।
यह प्रशिक्षण उनके लिए और ज्ञानवर्धक व प्रेरणादायक सिद्ध हुआ। प्रशिक्षण के दौरान उन्होंने न केवल अपने कौशल में निखार लाया बल्कि आत्मविश्वास का अनुभव भी हुआ। यहां से ही आरसेटी का प्रशिक्षण कार्यक्रम उनके जीवन में परिवर्तन का आधार बना।
ऋषभ के कड़े परिश्रम से उन्हें अपना कारोबार बढ़ाने में सहायता मिली। ऋषभ महीने के 20 से 25 हजार रूपये कमा रहे हैं तथा अपना तथा अपने परिवार के सही ढंग से गुजारे के साथ-साथ अन्य तीन लोगों को भी रोजगार उपलब्ध करवाया है।
क्या कहते है निदेशक
पंजाब नैशनल बैंक ग्रामीण स्वरोजगार प्रशिक्षण संस्थान के निदेशक कमल प्रकाश बताते हैं कि संस्थान जरूरतमंद एवं इच्छुक लोगों को स्वरोजगार आरम्भ करने के लिए निःशुल्क प्रशिक्षण देता है, ताकि वे आर्थिक रूप से सुदृढ़ एवं आत्मनिर्भर हो सकें।
वे बताते हैं कि संस्थान 18 से 45 वर्ष तक की महिलाओं और पुरूषों को डेयरी फार्मिंग, खुम्ब उत्पादन, सब्जी नर्सरी प्रबंधन और सब्जियों की खेती, आलू एवं प्याज की खेती और प्राकृतिक संरक्षण, अचार और पापड़ बनाना, खिलौने बनाना, डुने पत्तल बनाना, कपड़े के बैग बनाना तथा मोबाईल रिपेयरिंग जैसे विभिन्न रोजगारपरक व्यवसायों में प्रशिक्षण प्रदान करता है।
उन्होंने बताया कि प्रशिक्षण की समाप्ति पर प्रशिक्षणार्थियों को प्रमाण-पत्र दिए जाते हैं, जिसके द्वारा वे स्वरोजगार हेतु जिला कांगड़ा के किसी भी बैंक से ऋण प्राप्त करने के लिए आवेदन कर सकते हैं।