एमबीएम न्यूज / नाहन
वैसे तो अब 108 एंबूलेंस में महिलाओं की प्रसूति सामान्य होती जा रही है, क्योंकि बेहद निपुणता से कर्मी इसे अंजाम देते हैं। लेकिन इसमें भी कुछ ऐसी प्रसूतियां होती हैं, जो अपने में किसी रिकॉर्ड से कम नहीं होती। संगड़ाह उपमंडल के रजाना में 22 साल की रीना देवी को प्रसव पीड़ा शुरू हुई। तपाक से 108 को फोन किया गया।
चूंकि ददाहू से दूरी थी, लिहाजा 50 मिनट में 19 किलोमीटर का सफर तय कर 108 महिला तक पहुंच गई। दूसरे बच्चे को जन्म दे रही रीना देवी की हालत देखकर 108 कर्मी उस वक्त अधिक भौचक्के रह गए, जब पता चला कि 9 महीने की गर्भवती महिला की कोई भी जांच रिपोर्ट नहीं है। यहां तक की ब्लड गु्रप का भी पता नहीं था। ऐसे में सडक़ के किनारे डिलीवरी करवाना बेहद जोखिमपूर्ण था, लेकिन काकोग दोसडक़ा पर ईएमटी पंकज कलसी व पायलट नरेश ने जोखिम उठाने का फैसला कर लिया।
गाइनोकोलॉजिस्ट से फोन पर संपर्क बना लिया। कर्मियों के सामने एक चुनौती यह भी आ गई कि नाल बच्चे की गर्दन में लिपटी हुई थी। लेकिन संयम से डिलीवरी करवा दी गई। इसके बाद जच्चा-बच्चा को ददाहू अस्पताल पहुंचाया गया।
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