जिला में जून महीने में पर्यटन कारोबार को काफी नुक्सान पहुंचा है। पिछले साल की तुलना में जून माह में 50 फीसदी कम पर्यटक आए हैं। यह होटल इंडस्ट्री के लिए खतरे की घंटी है। यहां अब पानी के हालात भी सामान्य हो गए हैं। फिर भी पर्यटक शिमला की वादियों का रूख नहीं कर रहे हैं। ऐसे में राज्य सरकार को एक एडवाइजरी जारी करनी चाहिए कि पर्यटक यहां बेझिझक आएं, क्योंकि यहां पानी सहित अन्य मूलभूत सुविधाएं सामान्य हैं। यह बात नार्थन इंडिया के होटलियर एंड रैस्टोरेंट एसोसिएशन के प्रधान संजय सूद ने शिमला में पत्रकार वार्ता में कही।
प्रैस वार्ता करते होटल कारोबारी
उनके साथ शिमला के होटल कारोबारी अनिल वालिया सहित संघ के अन्य पदाधिकारी भी मौजूद थे। संजय सूद ने कहा कि पानी की किल्लत से शिमला में होटल उद्योग भी प्रभावित हुआ है, लेकिन इसका सबसे प्रतिकूल असर सैलानियों पर पड़ा। देश भर के सैलानी अब शिमला आने से बच रहे हैं। उन्होंने कहा कि जलसंकट के लिए शिमला नगर निगम की कूव्यवस्था जिम्मेवार है।
हालांकि शिमला के हाॅटलियरों ने इस दौरान पर्यटकों को पानी की किल्लत नहीं होने दी और टैंकरों के माध्यम से होटलों में पानी की आपूर्ति करवाई गई। लेकिन अब पानी की स्थिति बेहतर हो गई है, लेकिन होटलों के कमरे अभी भी खाली हैं। होटलों में एडवासं बुकिंग भी नहीं आ रही है। पर्यटकों को अभी भी लग रहा है कि शिमला में पानी का संकट बरकरार है। ऐसे में राज्य सरकार को आगे आकर एक एडवाइजरी जारी कर पर्यटकों को शिमला बुलाने की पहल करनी चाहिए।
उन्होंने कहा कि वीक एंड पर शिमला के माॅल रोड और रिज मैदान पर लोगों की खूब चहल-पहल का यह अर्थ नहीं निकाला जाना चाहिए कि यहां खूब सैलानी पहुंच रहे हैं । क्योंकि यह भीड़ शिमला के आसपास के इलाकों में रहने वाले लोगों की हैं, जो कि दिन भर माॅल व रिज पर घूमकर शाम को वापिस अपने घरों को लौट जाते हैं। संजय सूद और अनिल वालिया का यह भी कहना रहा कि शिमला के निजी होटलों में 20 से 30 फीसदी तक छूट दिए जाने के बावजूद पर्यटक यहां नहीं आ रहे हैं।
इसके अलावा उन्होंने कहा कि होम स्टे में तीन की बजाए पांच कमरे करना सही नहीं है। होम स्टे का मतलब शहर के लिए नहीं बल्कि ग्रामीण क्षेत्रों में पर्यटन को बढ़ावा देना है। कुछ लोग बड़े-बड़े भवनों का निर्माण कर होम स्टे के नाम पर चला रहे हैं। इस कारण सरकार के साथ होटल वालों को नुकसान हो रहा है। उन्होंने दावा किया कि शिमला में 92 होम स्टे ही पंजीकृत हैं, लेकिन बड़ी संख्या में गैरकानूनी तरीके से चल रहे हैं। ऐसे सरकार को होम स्टे चलाने वालों पर कड़ी निगरानी रखनी चाहिए।