एमबीएम न्यूज/नाहन
सिरमौर के 10 आदर्श स्कूलों में एक करोड़ के आसपास की कीमत पर स्पोर्टस का सामान सप्लाई हुआ। यह दीगर है कि मूलत: सप्लायर पर गाज गिरनी चाहिए, लेकिन बड़ा सवाल यह है कि सप्लाई की खेप लेने से पहले स्कूलों के प्रबंधनों ने आंखें मूंद रखी थी।
शिक्षा विभाग एफआईआर दर्ज करने की कोशिश में जुटा है, लेकिन प्रश्न इस बात पर है कि घटिया सामान को लेने से पहले स्कूलों ने इसकी जांच क्यों नहीं की। हद इस बात की भी कर दी थी कि उपलब्धता के बावजूद भी सामान को खरीदा गया। साथ ही भुगतान जारी करने में भी फुर्ती दिखाई गई।
सूत्रों का कहना है कि स्कूल प्रबंधकों की भी यह जिम्मेदारी बनती थी कि ऑर्डर किए गए सामान की खेप पहुंचने के बाद पड़ताल की जाए। हालांकि दो या तीन स्कूल ऐसे भी बताए जा रहे हैं, जिन्होंने अब तक हैंडलूम एवं हैंडीक्राफ्ट कॉर्पोरेशन को भुगतान जारी नहीं किया है। जानकार बताते हैं कि तय मापदंडों के तहत स्कूल की निगरानी कमेटी को निरीक्षण करना चाहिए था।
अब सप्लायर फर्म को ब्लैकलिस्ट करने की भी न्यायसंगत मांग हो रही है। लेकिन साथ-साथ अंदरखाते सुगबुगाहट उन सरकारी कर्मचारियों के खिलाफ भी कार्रवाई की मांग हो रही है, जिन्होंने आंख मूंदकर सामान को स्कूल के गोदामों में पहुंचाया।
सूत्र यह भी बता रहे हैं कि अगर दूसरे पहलू से उच्च स्तरीय जांच की जाए तो यह साफ तौर पर साबित हो सकता है कि सरकार के बजट की जमकर फिजूलखर्ची की गई है।
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