पांवटा साहिब (एमबीएम न्यूज): शीर्ष नेताओं के प्रति निष्ठा कई बार लॉटरी खोल देती है तो कई बार नुकसान कर देती है। उदाहरण के तौर पर 1993 में पच्छाद से विधायक बने गंगू राम मुसाफिर ने सीएम पद की राजनीति में वीरभद्र सिंह पर दांव खेला था तो कई अहम ओहदों से नवाजे गए। उसी दौरान कुश परमार ने पंडित सुखराम को चुना तो वीरभद्र सिंह के सीएम बनने पर राजनीतिक नुकसान झेला।
ताजा मामले में पूरे प्रदेश भर में सुखराम चौधरी ने मतों के लिहाज से चौथी सबसे बड़े अंतर की जीत हासिल की। लेकिन जब नड्डा-धूमल-ठाकुर के बीच मुख्यमंत्री पद की दौड़ शुरू हुई तो अचानक ही बैठे-बैठे प्रेम कुमार धूमल के लिए अपनी सीट खाली करने का दांव खेल गए।
अब अगर धूमल सीएम बन जाते तो निश्चित तौर पर सुखराम चौधरी की लॉटरी खुल जाती। लेकिन तीर निशाने पर नहीं बैठा है। लिहाजा अब चर्चा शुरू हो गई है कि चौधरी साहब का दांव उल्टा पड़ गया है, क्योंकि 27 दिसंबर को जयराम ठाकुर मुख्यमंत्री की शपथ लेने जा रहे हैं।
अब चूंकि जयराम ठाकुर की पहली पारी है, लिहाजा उम्मीद की जा रही है कि धूमल को लेकर चौधरी साहब द्वारा खेले गए दांव को मुख्यमंत्री के शपथ लेने के बाद जयराम ठाकुर दिल से नहीं लेंगे।