कांगड़ा (एमबीएम न्यूज़): जिला कांगड़ा के ज्वालामुखी विधानसभा के घलौर में आंत्रशोथ फैलने से लगभग आधा दर्जन गांवों के लोग इसकी चपेट में आ गए हैं। कुछ लोग उपचार के लिए ज्वालामुखी के सरकारी अस्पताल में तो कुछ लोग निजी अस्पतालों में अपना इलाज करवा रहे हैं। इनमें से अधिकांश बच्चे स्कूली छात्र बताए जा रहे हैं।
बता दें कि घलौर , घराटी, रकबाल लाहड़, दरोली, कसेटी, गाहलियाँ आदि गांवों के दर्जनों लोग आंत्रशोथ की चपेट में आ गए हैं। घराटी गाँव के कैप्टन संसार चन्द, गौरव, जतिन, रीमा, रिम्पल, अवनीत कुमार, रीना, बासु गौतम, रेणुका, कृति, कार्तिक आदि उल्टी दस्त से पीड़ित हैं। इन गांवों में आंत्रशोथ फैलने का पता जब चला जब कुछ लोगों को उल्टीयां, दस्त आने शुरू हो गए। आंत्रशोथ के शिकार लोग यहाँ वहाँ अपना उपचार करवा रहे हैं। घलौर स्कूल के प्रधानाचार्य ने बताया कि अधिकांश बच्चे आज स्कूल नहीं आए हैं।
कारण क्या है, उन्हें इसका पता नहीं है कि किस वजह से ज्यादातर बच्चे स्कूल में नही आए हैं। स्वास्थ्य विभाग ने इन गांवों में आंत्रशोथ के फैलने के पीछे दूषित पानी बताया है। लोगों का कहना है कि गर्मियों के दिनों में आंत्रशोथ फैलना एक आम बात हो सकती है, लेकिन सर्दियों में आंत्रशोथ फैलने की क्या वजह रही होगी, यह बात उनकी समझ में नहीं आ रही है। स्थानीय लोगों ने बताया कि वे नलों के पानी पर ही आश्रित हैं। प्राकृतिक जल स्रोत तो सूखे पड़े हैं। अतः नलों से दूषित पानी ही इसका मुख्य कारण है ।
गौरतलब है कि लगभग दो साल पहले भी यह गांव आंत्रशोथ की चपेट में आए थे, तब आईपीएच विभाग ने इस की वजह व्यास नदी से उठाया गया पानी, जोकि इस कुएं के पास लोगों द्वारा कपड़े धोने की वजह बताया था। ज्वालामुखी के डॉ सतिंदर वर्मा ने बताया कि आंत्रशोथ के कुछ मामले अस्पताल में आए हैं जिनमें से कुछ लोगों को उपचार के बाद घर भेज दिया गया है।
वहीं ज्वालामुखी के आईपीएच के सहायक अभियंता प्यारे लाल का कहना है कि फिलहाल इस तरह का कोई मामला उनके ध्यान में नहीं है। फिर भी पानी के दूषित होने की क्या बजह रही होगी इस की जांच की जाएगी। अगर इसमें किसी कर्मचारी की लापरवाही सामने आई तो उस के खिलाफ कड़ी करवाई अमल में लाई जाएगी। लोगों के स्वास्थ्य से कतई खिलवाड़ नहीं होने दिया जाएगा।