शिमला (एमबीएम न्यूज़) : हिमाचल प्रदेश के विधानसभा चुनाव में वोट डालने के लिए महिलाएं बढ़-चढ़ कर हमेशा निकलीं। इस बार तो रिकार्ड ही तोड़ दिया। इस बार महिलाओं ने पुरूषों से 6 फीसदी अधिक मतदान किया। महिलाओं की वोटिंग परसेंटेज 77 फीसदी रही। दिलचस्प यह है कि महिला नेतृत्व उभारने के लिए जो बड़ी-बड़ी बातें होती रही हैं, उनमे आज तक ठोस कुछ नहीं निकाला है।
मनाली के जगतसुख मतदान केंद्र पर अपनी पारी का इंतजार करती महिलाएं।(file Photo)
हाल ये है कि राज्य बनने के बाद आज तक विधानसभा के भीतर महिलाओं की संख्या दहाई के अंत तक नहीं पहुंच पाई है। मामला 6-7 महिला विधायकों तक ही सिमटा रहा है। इस बार क्या सूरत बदल पाएगी, इस पर सबकी निगाहें हैं।
हालांकि उम्मीदवारी के लिहाज से देखें, तो इस बार भी अपेक्षाकृत कम महिला उम्मीदवार ही चुनाव मैदान में हैं। कुल 19 महिला उम्मीदवारों में भाजपा की 6 और कांग्रेस की 3 महिलाएं किस्मत आजमा रही हैं। भाजपा ने जिन छह महिलाओं को टिकट दिया है। उनमें पालमपुर से इंदू गोस्वामी, इंदौरा से रीता धीमान, कुसुम्पटी से ज्योति सेन, रोहड़ू से शशि बाला, भोरंज से कमलेश कुमारी के अलावा शाहपुर से निवर्तमान विधायक सरवीण चौधरी शामिल हैं। जबकि कांग्रेस ने निवर्तमान विधायक आशा कुमारी, राज्यसभा सांसद विपल्लव ठाकुर और मंत्री कौल सिंह की पुत्री चंपा ठाकुर को मैदान में उतारा है।
विधानसभा में महिलाओं की मौजूदगी के लिहाज से देखें, तो अब तक साल 1998 में ही सबसे ज्यादा 6 महिलाएं चुनकर विधानसभा पहुंची थीं। वहीं वर्ष 2003 और वर्ष 2007 के विधानसभा चुनाव में 5 महिलाओं ने जीत हासिल की थी। वर्ष 2012 में भाजपा व कांग्रेस ने एक दर्जन महिलाओं को चुनाव में उतारा था, लेकिन 3 महिलाएं ही चुनाव जीत पाईं। खास बात यह है कि कुल्लू, बिलासपुर और किन्नौर जिलों से आज तक कोई महिला विधायक नहीं चुनी गई है।
जाहिर सही बात है कि प्रमुख सियासी दलों भाजपा और कांग्रेस ने महिला दावेदारों को टिकट देेने में कम दिलचस्पी दिखाई है। पार्टी के भीतर महिलाओं को 33 फीसदी सीटें देने की मांग उठती रहीं, लेकिन 10 फीसदी तक भी महिलाओं को टिकट नहीं मिल पाते। इस बार भी स्थिति नहीं बदली।