शिमला (एमबीएम न्यूज़) : स्वयंसेवी संस्था उमंग फाउंडेशन ने हिमाचल सरकार पर दिव्यांगों की उपेक्षा करने का आरोप लगाया है। उमंग फाउंडेशन के अध्यक्ष अजय श्रीवास्तव ने कहा है कि हिमाचल की सरकार दिव्यांगों की अनदेखी कर रही है। पिछले 5 सालों में राज्य सरकार ने विकलांगजनों के हालात में बदलाव के लिए कोई ठोस कदम नहीं उठाए।
संसद द्वारा पारित किए गए नए विकलांगता कानून को राज्य में लागू नहीं किया गया और हाईकोर्ट के आदेशों तक की खुलेआम धज्जियां उड़ाई गईं। विकलांगजनों को शिक्षा और नौकरियों में आरक्षण भी नहीं दिया जा रहा है। थैलेसीमिया पीडि़त बच्चों को नए कानून के अंतर्गत विकलांग की श्रेणी में रखा गया है लेकिन सरकार ने उन्हें अभी तक कोई सुविधा नहीं दी है।
अंतरर्राष्ट्रीय विकलांगजन दिवस से एक दिन पूर्व आज यहां संवाददाता सम्मेलन में अजय श्रीवास्तव ने कहा कि उमंग फाउंडेशन की ओर से इस बारे में राज्यपाल आचार्य देवव्रत को एक मांग पत्र भी भेजा गया है। इस मौके पर हिमाचल प्रदेश विश्वविद्यालय में उच्च शिक्षा प्राप्त कर रहे विकलांग विद्यार्थियों में से मुस्कान ठाकुर, मुकेश कुमार, अनुज कुमार, मोहित कपूर, सवीनाजहां, सतीश ठाकुर एवं अंजू वीरवानी आदि भी मौजूद थे।
उन्होंने कहा कि संसद द्वारा पारित किए गए विकलांग जनअधिकार कानून 2016 को भी प्रदेश में लागू करने के लिए कोई कदम नहीं उठाए गए। सरकार की कोताही का पता इससे चलता है कि 19 अप्रैल से इसे लागू किया जाना था और 7 महीने से ज्यादा समय बीतने पर भी सरकार ने इसके नियम तक नहीं बनाए।
उन्होंने बताया कि सरकार विकलांगजनों के लिए शिक्षा एवम नौकरियों में आरक्षण भी लागू नहीं कर रही है। नए कानून में माध्यमिक शिक्षा में 4 प्रतिशत और नौकरियों में भी 4 प्रतिशत आरक्षण देने का प्रावधान है। लेकिन राज्य सरकार के नौकरियों के विज्ञापनों में आरक्षण कोटा कहीं दिखाई नहीं देता। उच्च शिक्षा में 5ः आरक्षण हाईकोर्ट में जनहित याचिका के माध्यम से लागू कराया गया है।
नए कानून में अन्य बातों के अलावा थैलेसीमिया पीडि़त बच्चों को भी विकलांगों की श्रेणी में रख कर उन्हें सभी प्रकार की सुविधाएं देने की बात कही गई है लेकिन हिमाचल सरकार इन बच्चों के विकलांगता प्रमाण पत्र ही नहीं बना रही है।
उन्होंने कहा कि सरकार विकलांगजनों के प्रति अपनी संवैधानिक जिम्मेवारी निभाने में नाकाम रही है। उन्होंने बताया कि उनकी जनहित याचिका पर हाईकोर्ट ने 4 जून 2015 को अपने फैसले में कहा था कि राज्य सरकार सभी विकलांगों को पहली कक्षा से लेकर विश्वविद्यालय स्तर तक मुफ्त शिक्षा उपलब्ध कराए इसमें सभी तरह के प्रोफेशनल और वोकेशनल कोर्स शामिल हों।
अजय श्रीवास्तव ने कहा कि हिमाचल प्रदेश विश्वविद्यालय समेत राज्य के कृषि तथा बागवानी विश्वाविद्यालयों ने हाईकोर्ट का फैसला लागू कर दिया। लेकिन हैरानी की बात यह है कि सरकार ने यह फैसला मानने से इनकार कर दिया। सरकार अपने महाविद्यालयों, आईटीआई, पॉलिटेक्निक, मेडिकल कॉलेज, नर्सिंग कॉलेज एवं इंजीनियरिंग कॉलेज जैसे संस्थानों के विकलांग विद्यार्थियों से फीस वसूल रही जो सरासर अदालत की अवमानना है।
उमंग फाउंडेशन के अध्यक्ष ने कहा कि सुंदरनगर स्थित दृष्टिबाधित एवं मूकबधिर बालिकाओं के सरकारी स्कूल और शिमला के ढली में विशेष स्कूल में भी हालत काफी खराब हैं। उन्होंने कहा कि राज्यपाल को इस बारे में एक विस्तृत मांग पत्र भेज कर मांग की गई है कि विकलांगजनों के अधिकारों के संरक्षण के लिए तुरंत कदम उठाए जाएं। उन्होंने यह भी कहा कि यदि कोई कार्यवाही नहीं होती है तो मजबूरी में हाईकोर्ट में जनहित याचिका दायर की जाएगी।