बिलासपुर(अभिषेक मिश्रा) : उत्तर भारत के सुप्रसिद्ध शक्तिपीठ नयना देवी में श्रद्धालुओं की सुविधा के मद्देनजर शुरू की गई पंचकर्म पद्धति स्पेशलिस्ट और स्टाफ की कमी के चलते लड़खड़ा गई है। यही हाल, जिला आयुर्वेद चिकित्सालय का भी है जहां स्पेशलिस्ट की कमी अखर रही है। ऐसे हालात में महकमे ने जिला में कुछ समय पहले ज्वाइन करने वाले दो नए स्पेशलिस्ट की सेवाएं प्रतिनियुक्ति पर बिलासपुर व कंदरौर चिकित्सालय में लेने को लेकर निदेशालय को प्रस्ताव भेजा है।
उस ओर से मंजूरी मिलने के बाद कंदरौर आयुर्वेद चिकित्सालय के साथ ही जिला में कार्यरत जिला आयुर्वेद चिकित्सालय में पंचकर्म पद्दति के माध्यम से जनता को असाध्य रोगों के उपचार की सहूलियत मिल जाएगी। जानकारी के मुताबिक आयुर्वेद विभाग के जिला में 71 हैल्थ सेंटर और होम्योपैथिक व आयुर्वेद चिकित्सालय कार्यरत हैं। इसके तहत 67 हैल्थ सेंटर तो दो होम्योपैथिक और दो आयुर्वेद चिकित्सालय हैं।
जिला मुख्यालय और कंदरौर में आयुर्वेद चिकित्सालय कार्यरत हैं, लेकिन स्पेशलिस्ट और उपयुक्त स्टाफ के अभाव में जनता को बेहतर स्वास्थ्य उपचार की सुविधाएं नहीं मिल पा रही हैं। हालांकि इन चिकित्सालयों में वर्तमान में कार्यरत डाक्टर व स्टाफ दिन रात बेहतर सुविधाएं जनता को उपलब्ध करवाने के लिए तत्पर है, लेकिन स्पेशलिस्ट की कमी चल रही है। ऐसे हालात में पंचकर्म पद्धति के माध्यम से जनता को असाध्य रोगों के उपचार की बेहतर सुविधाएं नहीं मिल पा रही हैं।
इसके अलावा कुछ वर्ष पहले शक्तिपीठ नयनादेवी में पंचकर्म चिकित्सालय खोला गया है, जिसका मकसद यहां प्रदेश व बाहरी राज्यों से मां नयना के दर्शनार्थ आने वाले श्रद्धालुओं को पंचकर्म पद्धति की सुविधा उपलब्ध करवाना है, लेकिन यहां न तो स्पेशलिस्ट है और न ही उपयुक्त स्टाफ है। ऐसे हालात में श्रद्धालुओं को पंचकर्म पद्धति के माध्यम से उपचार की सुविधा नहीं मिल पा रही है और कार्यालय में रखे गए उपकरण व दवाएं धूल फांक रही हैं।
पता चला है कि जिला में कुछ समय पहले पंचकर्म के दो एमडी ने ज्वाइन किया है। एक काय चिकित्सा और दूसरा पंचकर्म चिकित्सा में माहिर हैं। यदि इन दोनों ही स्पेशलिस्ट की सेवाएं जिला आयुर्वेद चिकित्सालय और कंदरौर चिकित्सालय में ली जाएं तो जनता को पंचकर्म की बेहतर सेवाएं मिल सकती हैं।
हालांकि आयुर्वेद विभाग के अधिकारियों से बात करने पर पता चला है कि इस बाबत प्रस्ताव निदेशालय की मंजूरी के लिए भेजा गया है। यदि उस ओर से स्वीकृति मिलती है तो दोनों स्पेशलिस्ट की सेवाएं कंदरौर और बिलासपुर चिकित्सालयें में मिल सकती हैं और जनता को घरद्वार के पास आयुर्वेद पद्धति और पंचकर्म के माध्यम बेहतर उपचार की सहूलियत मिलेगी।