रेणुका जी (एमबीएम न्यूज़): संगड़ाह मे पर्यावरण के क्षेत्र में कार्य कर रही स्वंयसेवी संस्था सारा के पदाधिकारियों ने खनन सुरक्षा के नाम पर होने वाली जांच को मजदूरों की बजाय माइन चलाने वाले उद्योगपतियों का पक्ष लेने का प्रयास करार दिया। उपमंडल संगड़ाह मे सरकार अथवा विभाग रिकॉर्ड के मुताबिक चल रही तीन खदानों के अलावा संस्था के पदाधिकारियों के अनुसार यहां करीब 400 बीघा मे अन्य चार लाइन स्टोन माइन्स अवैध रूप से चल रही है, जिनकी ऐसा कोई भी टीम नियमानुसार जांच नहीं कर सकती।
संगड़ाह क्षेत्र की सैकड़ों बीघा जमीन पर चल रही चुना खदानों मे नियमों की अनदेखी व अवैध खनन को लेकर गात 11 मई को केंद्रीय पर्यावरण मंत्री तथा 18 अप्रैल 2016 को देश के प्रधानमंत्री को लिखित शिकायतें भेज चुकी।
संस्था के अनुसार 30 दिसंबर 2007 राष्ट्रीय पुरस्कार विजेता पर्यावरण प्रेमी किंकरी देवी के निधन के बाद से क्षेत्र में अवैध व अवैज्ञानिक खनन जोरों पर है। पदाधिकारियों ने केंद्र सरकार को भेजे गए पत्रों की प्रति जारी करते हुए कहा कि, 500 बीघा से अधिक क्षेत्र मे वर्तमान मे उपमंडल संगड़ाह में विभाग के रिकॉर्ड के मुताबिक तीन चूना खदान में चल रही है, जबकि यहां न तो खनन विभाग का कोई गार्ड अथवा कर्मचारी नियुक्त है और न ही हर रोज निकलने वाले दर्जनों चुना पत्थर के ट्रक की ओवरलोडिंग अथवा वजन देखने के लिए कोई कांटा तक लगा है।
साढ़े तीन लाख टन के करीब चूना पत्थर के स्टाक वाली उक्त तीनों खदानों को मात्र 27मजदूरों द्वारा संचालित किए जाने के विभाग के रिकॉर्ड को एनजीओ ने आधारहीन बताया। उन्होंने कहा कि, नवंबर 2015 मे भूतमड़ी के समीप एक अवैध चूना खदान में एक स्थानीय मजदूर की दबकर मौत हो गई थी तथा क्षेत्र की एक अन्य स्वयंसेवी संस्था के हस्तक्षेप के बाद इस बारे पुलिस में मामला दर्ज हुआ। तब जाकर 5 दिन बाद दिवाली के दिन एसडीएम संगड़ाह की मौजूदगी मे भड़वाना के मजदुर की लाश निकाली जा सकी थी , यहां एक जेसीबी भी दब गई थी।
बैंचिग न होने से 4 अप्रैल 2010 को संगड़ाह माइन मे भी पहाड़ी धंस चुकी है। संस्था के पदाधिकारियों ने कहा कि खनन सुरक्षा निदेशालय द्वारा इस बार भेजी गई टीम मे जेके सीमेंट माइन, सीसीआई, जीएसटी माइन व संगड़ाह माइन के मैनेजर अथवा कर्मचारी सदस्य व कन्वीनर रहे हैं। संस्था ने सवाल उठाते हुए कहा कि, उद्योगपतियों अथवा चूना खदानो के मालिकों के लिए काम करने वाले माइनिंग कर्मचारी अथवा माइन इंजीनियर किसी भी हालत में उद्योगपतियों के खिलाफ अथवा मजदूरों के हक में अपनी रिपोर्ट नहीं भेज सकते।
खनन सुरक्षा के नाम पर होने वाले उक्त निरीक्षण के निष्पक्ष होने पर संस्था ने गंभीर सवाल उठाए। उधर चुना खदानों मे निरीक्षण पर आई टीम के कन्वीनर व सदस्यों के अनुसार खनन सुरक्षा निदेशालय के नियमों के अनुसार निष्पक्ष ढंग से मजदूरों की सुरक्षा की जांच की गई है तथा इस बारे रिपोर्ट तैयार की जा रही है।