मंडी (वी कुमार): एक तरफ चुनाव आयोग अधिक से अधिक मतदान करवाने के लिए महीनों पहले जागरूकता अभियान चलाता है, इसके लिए जगह-जगह पर कार्यक्रम किए जाते हैं, कई संस्थाओं को इसमें जोड़ कर जन-जन तक यह बात पहुंचाई जाती है कि हर मतदाता को वोट डालना चाहिए, तो दूसरी तरफ उसके ऐसे भी फरमान सामने आ रहे हैं, जिसके चलते हजारों मतदाता मतदान से ही वंचित रह गए
चुनाव आयोग का हवाला देकर शिक्षा विभाग द्वारा निकाले गए आदेशों से इस विधानसभा चुनाव में प्रदेश के उन सब स्कूलों जिनमें मतदान केंद्र स्थापित किए गए थे में तैनात चतुर्थ श्रेणी कर्मचारी वोट देने से ही वंचित रह गए। संयुक्त निदेशक प्रशासन प्रारंभिक शिक्षा निदेशालय पंकज शर्मा ने 27 सितंबर 2017 को प्रदेश भर के समस्त उपनिदेशक शिक्षा को पत्र लिखा, जिसमें कहा कि 5 सितंबर को मुख्य निर्वाचन अधिकारी की अध्यक्षता में हुई बैठक में दिए गए निर्देशों के अनुसार आगामी विधानसभा चुनावों में मतदान केंद्र पर मतदान के दिन एक चतुर्थ श्रेणी कर्मचारी की सेवाएं मतदान कार्य के लिए प्रतिनियुक्त कर्मचारियों की सुविधा एवं सहायता हेतु उपलब्ध करवाने का निर्णय लिया गया है।
अतः इस संदर्भ में निर्देश दिए जाते हैं कि प्रारंभिक शिक्षा विभाग के अधीनस्थ पाठशालाओं में कार्यरत दैनिक वेतन भोगी, अंशकालीन जलवाहक (चुतर्थ श्रेणी) कर्मचारियों को आगामी विधानसभा चुनाव में मतदान के दिन मतदान केंद्र पर आवश्यकता अनुसार मतदान कार्य में प्रतिनियुक्त कर्मचरियों को संबंधित कार्य में सहायता प्रदान करने हेतु विशेष तौर पर उपस्थित रहने के लिए निर्देश जारी करें ताकि चुनाव से संबंधित कार्य सुचारू रूप से संबंधित मतदान केंद्र पर हो सके।
यह भी कहा गया कि इस आदेशों की अनुपालना सुनिश्चित की जाए। अब इन आदेशों का पालन करने में तो सभी संबंधित प्रधानाचार्यों, मुख्याध्यापकों व हैड टीचर ने खूब मुस्तैदी दिखाई मगर इसी बीच ये सब भूल गए कि चतुर्थ श्रेणी कर्मचारी भी एक मतदाता है, मतदान करना उसका अधिकार व कर्तव्य है, उसे भी अपने मतदान केंद्र तक जाना है, सभी को उस दिन हाजिर रहने को कहा गया। अब कोई बिरला ही ऐसा चुतर्थ श्रेणी कर्मचारी होगा जिसका वोट उसी के स्कूल के मतदान केंद्र में होगा।
कई स्कूलों में तो दो व तीन मतदान केंद्र भी थे जहां पर सभी चतुर्थ श्रेणी कर्मचारियों को हाजिर होने को कहा गया। आपसी तालमेल ठीक होता तो अन्य कर्मचारियों की तरह इनकी भी चुनावी डयूटी मानी जा सकती थी और इन्हें भी पोस्टल बैलेट पेपर दिया जा सकता था और इसके लिए बदले छुट्टी आदि का प्रावधान किया जा सकता था मगर ऐसा कुछ नहीं हुआ और शिक्षा विभाग के आदेश से प्रदेश के हजारों चतुर्थ श्रेणी कर्मचारी अपने मतदान केंद्र तक नहीं जा सके।