नाहन (एमबीएम न्यूज) : शहर के साथ-साथ ग्रामीण इलाकों में बंदर अब आतंक का पर्याय बन चुके हैं। विधानसभा क्षेत्र में पानी की समस्या जस की तस है। साथ ही बंदरों की समस्या भी पेयजल संकट की बराबरी करने लगी है। लोगों की बंदर दुखती रग हैं। शहरी क्षेत्रों में उत्पाती बंदर जहां सरेआम लोगों पर हमला करते हैं, वहीं ग्रामीण क्षेत्रों में खेती को तबाह कर रहे हैं।
हालांकि बंदरों की समस्या प्रदेश के 10 जिलों का मुद्दा है, लेकिन नाहन विधानसभा क्षेत्र इस कारण संवेदनशील है, क्योंकि शहरी इलाके में भी फौज लगातार बढ़ती जा रही है। चुनावी समर में लोगों की नजरें इस बात पर टिकी हैं कि क्या वोट मांग रहे नेता इस मुद्दे पर भी कुछ बोलेंगे या नहीं। 2012 का विधानसभा चुनाव सोलन से नाहन पहुंचे डॉ. राजीव बिंदल ने पानी के मुद्दे पर जीता था। साथ ही एक नया चेहरा होने का भी फायदा बिंदल को ही मिला था।
यह फैसला जनता को ही करना है कि क्या पानी की समस्या का समाधान हुआ या नहीं। हैरान कर देने वाली बात यह भी है कि बंदरों की समस्या पर नेता खामोशी बनाए हुए हैं। राजनीतिक दलों के घोषणापत्र जारी नहीं हुए हैं। स्थानीय स्तर पर भी लोग अब यह चाह रहे हैं कि बंदरों की समस्या पर भी नेता चुप्पी तोड़ें।