हमीरपुर (एमबीएम न्यूज़ ): ये सियासत का खेल भी बड़ा दिलचस्प होता है। सियासत किस करवट बैठ जाए कोई नहीं जानता। शायद प्रेम कुमार धूमल ने कभी सोचा भी नहीं होगा कि जिस शिष्य को उन्होंने अंगुली पकड़कर राजनीति के गुर सिखाए थे। कल वही उनके खिलाफ खड़ा हो जाएगा। लेकिन यह सच भी है कि राजनीति में कई ऐेसे मोड़ आए है जहां पर कई रिश्तेदार ही एक दूसरे के सामने खड़े हुए है। बात यहां सुजानपुर से कांग्रेस प्रत्याशी राजेंद्र राणा की हो रही है।

राजेंद्र राणा वो शख्स हैं जो कभी पूर्व मुख्यमंत्री प्रेम कुमार धूमल के खास हुआ करते थे। लेकिन 2012 के विधानसभा चुनाव ने रिश्तों में दूरियां पैदा कर दीं। 2012 के विधानसभा चुनाव में राजेंद्र राणा ने सुजानपुर से टिकट की दावेदारी जताई लेकिन उन्हें भाजपा ने टिकट नहीं दिया। इस बात से नाराज राजेंद्र ने निर्दलीय चुनाव लड़ा और भारी जनसमर्थन हासिल कर जीत का झंडा गाड़ दिया। एक समय था जब धूमल के सारे चुनाव का दारोमदार भी राणा के कंधों पर रहता था । लेकिन वो दौर भी सबने देखा था जब शिमला में एक निजी होटल में पैसे के लेन-देन को लेकर धूमल परिवार पर उठी अंगुलियों के चलते राणा ने बीजेपी से किनारा कर कांग्रेस का दामन थाम लिया था।
2012 में वीरभद्र सिंह ने सरकार बनाई तो राजेंद्र राणा ने उन्हें बाहर से समर्थन दे दिया। 2012 के बाद राजेंद्र धूमल की बजाय वीरभद्र के खास बन गए। वीरभद्र जब भी हमीरपुर आते हैं राजेंद्र राणा से मिले बगैर वापिस नहीं जाते। इस बार राजेंद्र राणा कांग्रेस के टिकट पर सुजानपुर से चुनाव लड़ रहे हैं और उनका सीधा मुकाबला अपने राजनीति के गुरु यानि प्रेम कुमार धूमल से है। प्रेम कुमार धूमल पहले हमीरपुर सीट से विधानसभा चुनाव लड़ते थे। लेकिन इस बार भाजपा हाईकमान ने उनकी सीट बदलकर सुजानपुर कर दी है। हमीरपुर सीट से भाजपा ने कद्दावर नेता रहे जगदेव ठाकुर के बेटे नरेंद्र ठाकुर को टिकट दिया है। सुजानपुर सीट पर मुकाबला टक्कर का है। आपको बता दें कि राजेन्द्र राणा बीजेपी सरकार में पूर्व मुख्यमंत्री धूमल के पूर्व ओसडी के मित्र थे। राणा की नजदीकियां होने के बाद से राणा धूमल से मिले थे। बाद में धूमल ने राणा को प्रदेश मीडिया सलाहकार समिति के चेयरमैन बनाया था।