हमीरपुर (एमबीएम न्यूज़) : एक व्यक्ति का किसी वजह से जीवन समाप्त हो सकता है। लेकिन ऑर्गन डोनेट के जरिएए वही व्यक्ति किसी के जीव
न को नई शुरुआत दे सकता है। मृतक के घरवालों का ऑर्गन डोनेशन को लेकर फैसला लेना बहुत कठिन होता है। लेकिन 25 साल के वरुण के परिवार ने अपने बेटे का ब्रेन डेड होने के बाद डॉक्टर के ऑर्गन डोनेट करने के आग्रह को तुरंत स्वीकार कर लिया। सड़क हादसे में घायल होने के बाद हेड इंजरी से 25 साल के वरुण का निधन हो गया था। इसके बाद उसके घरवालों के फैसले से पांच लोगों को नया जीवनदान दे दिया।

वरुण की मौत पीडि़त परिवार के लिए दुखद हो सकती है। लेकिन वरुण ने जिन पांच लोगों को अपने ऑर्गन डोनेट किए हैं। उनके लिए जीवन की सौगात अद्भुत खुशी से कम नहीं है। पीजीआई के डायरेक्टर प्रो.जगत राम ने कहा कि पीजीआई में 2017 में अभी तक 37 लोगों को ऑर्गन डोनेशन से नया जीवन मिल चुका है। पहले लोग ऑर्गन डोनेट करने से पहले 100 बार सोचते थे, लेकिन बीते कुछ वर्षों में लोगों की सोच बदली है। पिछले महीने में ही ऑर्गन डोनेशन से करीब सात लोगों को नई जिंदगी मिली।
सड़क हादसे में हो गई थी हेड इंजरी….
हमीरपुर का रहने वाला 25 साल का वरुण बद्दी में एक प्राइवेट कंपनी में काम करता था। आनंदपुर के निकट वरुण की बाइक स्किट हो गई। सड़क हादसे में वह हेड इंजरी का शिकार हो गया। घरवाले इलाज के लिए उसे पीजीआई लेकर आए। रविवार को डॉक्टरों ने वरुण का ब्रेन डेड घोषित कर दिया। डॉक्टरों ने वरुण के पिता अनूप चंद को बताया कि वरुण का ब्रेन डेड हो चुका है। उनसे आग्रह किया कि चूंकि वह युवा है और उसके ऑर्गन किसी दूसरे की जिंदगी बचा सकते हैं। अनूप चंद ने इस पर अपनी सहमति जता दी। पीजीआई रोटो के नोडल ऑफिसर वरुण कौशल ने बताया कि परिवार द्वारा इच्छा जताने के बाद पीजीआई ने ऑर्गन मैच के लिए नेशनल ऑर्गन एंड टिशु ट्रांसप्लांट ऑर्गेनाइजेशन नोटो से संपर्क किया।
दो किडनी पीजीआई में ही ट्रांसप्लांट की वरुण का लिवर चंडीगढ़ से नोटो भेजा गया और वहां से नोटो ने नई दिल्ली स्थित आईएलबीएस को भेजा। सुबह तीन बजे चंडीगढ़ से दिल्ली लीवर भेजा गया। 22 की सुबह आईएलबीएस में वरुण का लिवर एक जरूरतमंद मरीज को ट्रांसप्लांट कर दिया गया। इसके अलावा वरुण की दो किडनी पीजीआई में ट्रांसप्लांट की गईं। इसके अलावा वरुण की आंखें भी दो मरीजों को ट्रांसप्लांट की गईं।
वे हंसेंगे तो हमें लगेगा हमारा वरुण हंस रहा है..
वरुण के पिता अनूप चंद ने कहा कि बेटे के जाने के बाद मेरे लिए दुख को बयां करना मुश्किल था। फिर मैंने सोचा क्यों वरुण तो चला गया। उसके ऑर्गन डोनेट कर जिन मरीजों को उसके ऑर्गन ट्रांसप्लांट होंगे उनमें उसे देख सकेंगे। वे हंसेंगे तो हमें लगेगा हमारा वरुण भी खुश है। बेटा हमेशा दूसरों के प्रति दया और करुणा दिखाने में हमेशा आगे रहता था। वह दूसरों की मदद करने के लिए तैयार रहता था। उसकी इस व्यवहार ने हमें ऑर्गन डोनेट करने के लिए प्रेरित किया। वरुण हमारे लिए भगवान का सबसे बड़ा उपहार था तो सही और जीवंत वह जीवन की तस्वीर ही था। लेकिन उन्हें खुशी है कि बेटा मर कर दूसरों के काम आया।