श्री रेणुका जी (एमबीएम न्यूज): सोमवार को विनय कुमार व पूर्व विधायक हिरदा राम के बीच संगड़ाह में जबरदस्त जोर-आजमाइश हुई। इसके बाद यह सवाल चर्चा में है, ‘तू शेर या मैं शेर..’। मामूली अंतर से 2012 का विधानसभा चुनाव हारे हिरदा राम ने भी शक्ति प्रदर्शन के जरिए अपनी ताकत का अहसास करवा दिया। कांग्रेस प्रत्याशी न केवल सीटिंग विधायक, बल्कि सीपीएस की कुर्सी पर भी विराजमान थे।

लिहाजा भीड़ जुटाना कोई खास मुश्किल काम नहीं था, लेकिन सीधे साधी शख्सिअत के तौर पर पहचान रखने वाले हिरदा राम के शक्ति प्रदर्शन ने भी हर किसी को आश्चर्यचकित किया। 2011 में हिरदा राम ने विनय कुमार को 3526 मतों से हराकर राजनीतिक पारी शुरू की थी। उस वक्त विनय कुमार के पक्ष में पिता डॉ. प्रेम सिंह क निधन की सहानुभूति भी थी, क्योंकि उनके निधन के कारण ही उप चुनाव हो रहे थे। इसमें कोई दो राय नहीं है कि उस वक्त की भाजपा सरकार ने उप चुनाव जीतने के लिए एड़ी-चोटी का जोर लगा दिया था।

हिरदा राम ने 20,804 मत हासिल किए थे, जबकि विनय कुमार को 17,278 वोट पड़े थे। 2012 के विधानसभा चुनाव में हिरदा राम 20,677 मत हासिल करने में सफल रहे थे, लेकिन 655 मतों के अंतर से विनय कुमार ने चुनाव जीत लिया। भाजपा से बगावत कर हिरदा राम ने अपना नामांकन पत्र भी गुपचुप तरीके से दाखिल किया था। जहां तक मुख्य संसदीय सचिव विनय कुमार का सवाल है तो विकास की दलील देकर दंगल में कूदे हैं।
सनद रहे कि भाजपा ने इस सीट पर बलबीर चौहान को मैदान में उतारा है। बहरहाल 9 नवंबर को मतदाताओं का मूड ही यह फैसला करेगा कि रेणुका विधानसभा का असली शेर कौन है।