रिकांगपिओ (जीता सिंह नेगी): जिला के मूरंग व नेसंग गांव पूरी तरह से देव संस्कृति के रंग में रंग गए है। मूरंग गांव के कुलदेव औरमिग शु 12 वर्षो के बाद खागपूजा के लिए नेसंग गांव पहुंंचे। नेसंग गांव पहुंचने पर मूरंग के कुल देव सहित देव के साथ गए लोगों का भव्य स्वागत हुआ। जिस प्रकार हिन्दू धर्म में कुंभ मेले का आयोजन होता है, उसी प्रकार मूरंग देवता के खाग पूजा उत्सव भी ग्रामीणों के लिए कुंभ मेले से कम नहीं है, जो 12 वर्षो बाद मनाया जाता हैै।
इस दौरान दोनों गांव के देवता मिल कर गांव के सुख शांति के लिए कंदराओं में अदृश्य रूप से वास करने वाली शक्तियों की पूजा करते हैं। इस दौरान मूरंग व नेसंग गांव के कुल देवताओं के मिलन देख सभी देवालू मंत्रमुग्ध हुए। दो गांव के कुलदेवों केमिलन के बाद सभी ग्रामीण देव वाद्ययंत्रों की थाप पर जम कर लोकनृत्य में डटे रहे। ऐसे मे जहां देव आस्था की झलक देखने को मिलती है। वहीं जिले में अपनी अलग संस्कृति भी दिखती है।
मूरंग देवता के मौतमी महेश्वर नेगी व नेसंग देवता के मौतमी प्रवीण नेगी ने बताया कि यह देव मिलन इस बार 24 वर्षो के बाद हुई है। इस मिलन के लिए दोनों गांव के लोग उत्सुकता से इंतजार कर रहे थे। उन्होंने बताया कि दोनों गांव के शांति के लिए हर 12 वर्षो के बाद यह पूजा होती है इसलिए दोनों गांव के लोग उत्सुकता से इंतजार करते हैं। गौर रहे कि आधुनिकता के दौर में भी कबायली जिला किन्नौर के अंदर आज भी सदियों पुरानी देव पराम्परा यथावत रूप से जीवंत है।