शिमला (एमबीएम न्यूज़) : कोटखाई थाने की हवालात में गूडिया मर्डर केस के आरोपी की हत्या के मामले ने खाकी को फिर से शक के दायरेे में ला दिया है। 29 वर्षीय नेपाली युवक सूरत को उसी के साथी राजेंद्र ने हवालात में मौत के घाट उतार दिया और डयूटी पर मौजूद पुलिस अधिकारियों व कर्मचारियों को इसी भनक तक नहीं लगी। पुलिस की घोर लापरवाही इस सनसनीखेज हत्या का मुख्य कारण बनी है।
गुडिया मामले के जबरदस्त तूल पकड़ने के बावजूद एसआईटी से लेकर कोटखाई पुलिस ने अपराधियों को अलग-अलग लॉक अप में रखना जरूरी नहीं समझा और इस मामले को हल्के में लिया। कोर्ट ने गूडिया मामले के पांच आरोपियों को सात दिन के पुलिस रिमांड पर भेजा था। कोटखाई थाने में तीन आरोपी एक लॉक अप में ओर दो अन्य आरोपी दूसरे लॉक अप में रखे गए थे। गूडिया मामले को लेकर प्रदेश भर में पुलिस तंत्र के खिलाफ हो रहे धरने-प्रदर्शनों से भी कोटखाई पुलिस ने सीख नहीं ली।
चुंकि रेप व मर्डर के मामले बेहद संगीन अपराध में आते हैं और थानों में ऐसे अपराधियों की सुरक्षा के पुख्ता इंतजाम होते हैं और इनकी निगरानी के लिए दिन-रात पुलिस जवानों का सख्त पहरा रहता है। लेकिन कोटखाई थाने में ऐसा कोई बंदोबस्त नहीं था। ऐेसे में इस बात के कयास लगाए जा रहे हैं कि या तो पुलिस की मिलीभगत से नेपाली आरोपी का कत्ल हुआ या फिर यह एक इतिफाक था कि दोनों आरोपी लड़े और सूरज की मौत हो गई, लेकिन इस बात की संभावना बेहद कम है कि थाने में मौजूद पुलिस जवानों को सूरत-राजेंद्र के झगड़े की भनक न लगी हो।
कुल मिलाकर पुलिस तंत्र सवालों के घेरे में है। थाने में हत्याकाण्ड के बाद पुलिस ने यह बताने में तनिक भी देर नहीं की है कि आरोपी राजेंद्र ने सूरज को मौत के घाट उतारा है। मामले में हत्या की रिपोर्ट दर्ज होने के बाद पुलिस सारा दोष आरोपी राजेंद्र के सर मढ़ रही है। एएसपी भजन नेगी का कहना है कि सूरज और राजेंद्र एक साथ लॉक अप में बंद थे। मध्य रात्रि दोनों आपस में लड़ पड़े और राजेंद्र ने सूरज की जान ले ली। कुल मिलाकर पुलिस के लिए यह मामला गले की हडडी बन गई है।