शिमला (एमबीएम न्यूज़) : चुनावी साल में आउटसोर्स कर्मचारियों को स्थाई करने का सब्जबाग दिखाने वाली राज्य सरकार अपने वायदे से पलट गई है। सरकार ने आउटसोर्स कर्मचारियों को लेकर बनाए गए नीति-निर्देशों की अधिसूचना तो जारी कर दी है। लेकिन हैरत इस बात की है कि इन नीति-निर्देशों में आउटसोर्स कर्मचारियों की सेवाएं न तो अनुबंध पर करने का जिक्र है, न ही नियमित करने का।
अतिरिक्त मुख्य सचिव वित की ओर से जारी 12 नीति-निर्देशों में आउटसोर्स कर्मियों को मेडिकल लीव, मैटरनिटी लीव, ईएसआई-ईपीएफ, यात्रा भत्ता, महीने की सात तारीख तक वेतन जारी करना इत्यादि शामिल है। आउटसोर्स कर्मचारियों के वेतन बढ़ोतरी बारे भी स्पष्ट नहीं किया गया है। केवल इतना कहा गया है कि जब कभी राज्य सरकार न्यूनतम वेतन में बढ़ोतरी करेगी, तब संबंधित विभागों द्वारा आउटसोर्स आधार पर रखे गए कर्मचारियों को भी न्यूनतम वेतन बढ़ा कर देना पड़ेगा।
नए नीति-निर्देशों में आउटसोर्स कर्मचारियों को कैलेंडर ईयर में 6 मेडिकल लीव देने का उल्लेख अवश्य है, लेकिन यह भी बेहद आश्चर्यजनक है, क्योंकि एक साल पहले 25 जुलाई 2016 को उपसचिव वित की तरफ से जारी अधिसूचना में आउटसोर्स कर्मचारियों को कैलेंडर ईयर में 6 मेडिकल लीव देने का जिक्र था। इससे साफ हो गया है कि वित विभाग ने पुरानी अधिसूचना को नए रूप में जारी कर दिया है।
जारी ताजा अधिसूचना में आउटसोर्स कर्मचारियों को अपने हैडक्वार्टर से बाहर जाने पर (राज्य के भीतर) 130 रूपया प्रतिदिन, तथा राज्य के बाहर जाने पर 200 रूपया प्रतिदिन डी.ए. देेन की घोषणा हुई है। मगर ऐसी एक अधिसूचना वित विभाग ने दो साल पहले 11 जूल 2015 को जारी कर दी थी। इसके अलावा आउटसोर्स कर्मचारियों को ईएसआई-ईपीएफ की सुविधा देना भी नई बात नहीं है, क्योंकि यह सुविधा कई विभागों में काम कर रहे आउटसोर्स कर्मचारियों को बहुत पहले से मिल रही है। महीने की 7 तारीख तक वेतन भुगतान सुनिश्चित करने से आउटसोर्स कर्मचारियों को थोड़ी-बहुत राहत जरूर मिली है, क्योंकि कई विभागों के कर्मियों को ठेकेदार व कंपनियां दो-दो महीने बाद वेतन देती है।
इधर आउटसोर्स कर्मचारी सरकार द्वारा जारी किए गए नीति-निर्देशों से बिफर गए हैं। उनकी मुख्य मांग सेवाएं अनुबंध पर लाने की थी, जिसे कि सरकार ने एक तरह से खारिज कर दिया है। आउटसोर्स कर्मचारी अब कल सोमवार को राज्य सरकार के खिलाफ क्रमिक अनशन शुरू कर रहे हैं।
आउटसार्स कर्मचारी महासंघ के अध्यक्ष धीरज चौहान ने कहा कि सरकार ने पुरानी अधिसूचना के अधिकतर बिंदुओं को नीति का नाम देकर आउटसोर्स कर्मचारियों के साथ विश्वासघात किया है। उन्होंने कहा कि आउटसोर्स कर्मचारी महासंघ लंबे समय से सरकार से अपनी मांगे उठा रहा था, जिस पर स्वयं मुख्यमंत्री ने उन्हें राहत देने की बात कही थी।
मुख्यमंत्री ने आउटसोर्स कर्मचारियों की सेवाएं नियमित करने के लिए स्थाई नीति बनाने का भरोसा दिया था और बाकयदा इसका एलान किया था। लेकिन उन्होंने अपना वायदा पूरा नहीं किया और अब आउटसोर्स कर्मचारी महासंघ के बैनर तले कल सचिवालय के बाहर सरकार के खिलाफ उग्र प्रदर्शन किया जाएगा। उन्होंने कहा कि सरकार को कम से कम यह तो सुनिश्चित करना चाहिए कि आउटसार्स कर्मचारियों की नौकरी पर कोई आंच न आए और 58 साल तक उनकी सेवाएं बनी रहें।