हमीरपुर (एमबीएम न्यूज) : जिले के दस सरकारी स्कूलों को मॉडल स्कूल बनाया जाएगा। उच्च शिक्षा निदेशालय ने स्कूलों का चयन कर चार करोड़ 25 लाख रुपए का बजट जारी कर दिया है। जिला के वरिष्ठ माध्यमिक स्कूलों को ही मॉडल स्कूलों में तबदील किया गया है। संबंधित स्कूल मुखियाओं को एस्टीमेट बनाने के दिशा-निर्देश जारी किए गए हैं।
उल्लेखनीय है कि हर विधानसभा क्षेत्र में मुख्यमंत्री आदर्श विद्यालय योजना में दो-दो स्कूलों को मॉडल स्कूल बनाने की प्रक्रिया तेज हो गई है। उच्च शिक्षा निदेशालय ने स्कूलों की पहचान कर ली है। इसके चलते जिला में राजकीय वरिष्ठ माध्यमिक पाठशाला लंबलू व राजकीय वरिष्ठ माध्यमिक पाठशाला कन्या, भोरंज में राजकीय वरिष्ठ माध्यमिक पाठशाला भोरंज व राजकीय वरिष्ठ माध्यमिक पाठशाला भरेड़ी, सुजानपुर में राजकीय वरिष्ठ माध्यमिक पाठशाला सुजानपुर व राजकीय वरिष्ठ माध्यमिक पाठशाला पटलांदर, राजकीय वरिष्ठ माध्यमिक पाठशाला नादौन व राजकीय वरिष्ठ माध्यमिक पाठशाला गलोड़, बड़सर में राजकीय वरिष्ठ माध्यमिक पाठशाला बिझड़ी व राजकीय वरिष्ठ माध्यमिक पाठशाला बणी को मॉडल स्कूल बनाया जाएगा।
चयनित स्कूलों को मॉडल बनाने के लिए साढ़े 42-42 लाख रुपए खर्च किए जाएंगे। आर्ट्स , साइंस और कॉमर्स संकाय वाले स्कूलों को ही इसमें प्राथमिकता दी गई है। मॉडल स्कूलों में बच्चों को आधुनिक तरीकों से पढ़ाया जाएगा। मॉडल स्कूलों में बड़े खेल मैदान, ऑडिटोरियम और बागीचे बनाए जाएंगे। स्कूली बच्चों और शिक्षकों के लिए लाइब्रेरी में विभिन्न किताबें और मैगजीन आदि उपलब्ध करवाई जाएंगी।
छात्रों को ये मिलेगी सुविधा…
मॉडल स्कूलों में इच्छुक छात्रों को इंग्लिश मीडियम में पढ़ाई करवाई जाएगी। इसके अलावा नियमित तौर पर स्कूली छात्रों के स्वास्थ्य की जांच होगी। स्कूलों में वोकेशनल शिक्षा शुरू की जाएगी। जरूरत पडऩे पर बच्चों को आवासीय सुविधा भी मिलेगी। मॉडल स्कूलों में एनसीसी का प्रशिक्षण दिया जाएगा। एक कक्षा में 40 छात्रों को ही दाखिला मिलेगा। 25 छात्रों पर एक शिक्षक अनुपात से शिक्षक भर्ती होगी। लीडरशिप क्वालिटी और टीम के साथ काम करना सिखाएंगे। स्कूल मैनेजमेंट कमेटियों को फैसले लेने के अधिकार होंगे।
कैसे हुआ चयन….
उच्च शिक्षा निदेशालय ने वरिष्ठ माध्यमिक स्कूलों को मॉडल स्कूल बनाने के लिए ऐसे चयन किया है, जहां बच्चों की संख्या अधिक है। स्कूल में विकास कार्य करने के लिए पर्याप्त स्थान हो। तीनों संकाय स्कूल में पढ़ाए जा रहे हों। कम्प्यूटर लैब स्थापित हो। इंटरनेट की कनेक्टिविटी पर्याप्त हो। फुल टाइम कम्प्यूटर टीचर स्कूल में होने चाहिए।