नाहन : क्या आप जानते हैं कि उतरी भारत की सबसे बड़ी पहाड़ी रियासत के मुख्यालय नाहन में पहली कार कब पहुंची थी। जी हाँ, 1621 में बसे सिरमौर रियासत के मुख्यालय नाहन में 22 अक्टूबर 1910 को तत्कालीन पंजाब स्टेट के लेफ्टिनेंट गवर्नर सर लुईस डेन कार के जरिए बराड़ा से कालाअंब के रास्ते नाहन पहुंचे थे। नाहन-कालाअंब जीप-कार योग्य मार्ग को हालांकि 18वीं शताब्दी में महाराजा शमशेर प्रकाश ने निर्मित करवाया था।
बराड़ा उस समय नाहन के सबसे नजदीकी रेलवे स्टेशन था। इससे पहले नाहन से बनेठी, सराहां, नैनाटिक्कर, डगशाई होते हुए रेल पकड़ने के लिए जाना पड़ता था। यह मार्ग बहुत लंबा पड़ता था। महाराजा शमशेर प्रकाश द्वारा निर्मित कालाअंब-बराड़ा कार्ट रोड पर 1934 में दो पुलों के निर्माण पर इस सड़क मार्ग को पक्का किया गया। मोटर कार जीपों के अलावा इस रोड पर बैल गाड़ियों को भी आवागमन का साधन मिला। इसके अलावा उसी समय नाहन से रामपुरघाट यमुना की और 1904 में बने मार्ग को भी दुरुस्त किया गया। वहीं 1945-46 में बहराल-जगाधरी मार्ग का निर्माण किया गया।
इतिहासकार व राजघराने के सदस्य कंवर अजय बहादुर सिंह का कहना है कि वो एक पुस्तक लिख रहे हैं, जिसमें सड़कों व ट्रांसपोर्ट के कॉलम में इस बात का जिक्र भी किया है कि नाहन में पहली कार 22 अक्तूबर 1910 को पहुंची थी। उनका कहना है कि अंतिम शासक राजेंद्र प्रकाश के कार्यकाल के दौरान सिरमौर रियासत में निजी व स्टेट सेक्टर में ट्रांसपोर्ट व्यवस्था में सुधार होना शुरू हुआ था। आजादी के बाद भी बैलगाड़ी का इस्तेमाल भी होता रहा है।
निजी ठेकेदारों को तांगा सेवा की जगह निजी बसें चलाने का अनुबंध भी दिया गया था। उस समय रियासत में 137 वाहन पंजीकृत हुए थे। हालांकि आज भी वही पुरानी तस्वीर नजर आती है, लेकिन बदलाव हुए हैं। उदाहरण के तौर पर उस जमाने में भी नाहन को मैदानी इलाकों से जोड़ने के लिए सड़क थी। दूसरी तरफ शेष हिमाचल को जोड़ने के लिए कुम्हारहट्टी की तरफ वाला मार्ग था।