शिमला, 29 अक्तूबर : पंजाब की सीमा से सटे ऊना के हरोली विधानसभा क्षेत्र में पंजाब की तर्ज पर ही चुनाव लड़ा जाता है। विधानसभा क्षेत्र में धन-बल के जबरदस्त इस्तेमाल की संभावना रहती है। 2007 से पहले हरोली को संतोषगढ़ विधानसभा के नाम से जाना जाता था। डिलिमिटेशन (Delimitation)के बाद इसका नाम बदलकर हरोली कर दिया गया।
दिवंगत मुख्यमंत्री वीरभद्र सिंह (Late former CM Virbhadra Singh) की सरकार में मंत्री रहे मुकेश अग्निहोत्री जीत का चौका लगा चुके हैं। अब वो पांचवी बार जीत कर कांग्रेस के खेमे में मुख्यमंत्री पद (CM Post) के दावेदार हो सकते हैं। यह विधानसभा क्षेत्र ब्राह्मण बाहुल्य माना जाता है। ये मुकेश अग्निहोत्री का सबल पक्ष रहा है। यहां भाजपा को अब तक ऐसा कोई उम्मीदवार नहीं मिला है, जो मुकेश को पूरी तरह से चुनौती दे सके।
विधानसभा क्षेत्र में मुकेश अग्निहोत्री ने उद्योग मंत्री (Industry Minister) रहते हुए औद्योगिक विकास किया है, जिसका लाभ पिछले चुनाव में मिला। यहां कई मल्टीनेशनल कंपनियों (Multinational Companies) के आने से रोजगार के साधन भी बढ़े हैं। भाजपा ने यहां पुरानी बोतल में नई शराब परोस कर मतदाताओं को अपनी और आकर्षित करने का प्रयास किया है। पिछली बार के भाजपा उम्मीदवार राम कुमार को फिर से टिकट दिया गया है। रामकुमार का ताल्लुक भी ब्राह्मण समुदाय से है।
सीएम के पद के लिए मांग रहे हैं कांग्रेसी वोट….
इस हलके में मुकेश अग्निहोत्री ने हालांकि अपने आप को पूरी तरह से राजनीतिक स्थायित्व दे दिया है, साथ ही उन्हें हलके में आने वाले मुख्यमंत्री के तौर पर पेश किया जा रहा है। उनकी इकलौती पुत्री आस्था अग्निहोत्री अपने पिता के कंधे से कंधा मिलाकर चुनाव प्रचार में जुटी हैं। वह हर रोज दर्जनों नुक्कड़ सभाओं को संबोधित कर रही हैं।
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काफी समय पहले से आस्था अपने पिता के लिए जनसंपर्क में जुट गई थी। हालांकि, वो विदेश से कानून की पढाई करके लौटी हैं, मगर जनता में घुलना-मिलना विशेषकर महिलाओं व युवाओं में उनकी काफी लोकप्रियता है। इसका फायदा भी मुकेश को मिल रहा है।
उधर, भाजपा के उम्मीदवार राम कुमार का टिकट काफी देर से अनाउंस (Announce) हुआ, जिसके कारण वह चुनाव प्रचार में थोड़ा लेट हुए। सबल पक्ष ये है कि राम कुमार भी ब्राह्मण जाति से संबंध रखते हैं। विधानसभा क्षेत्र में बाहरी रिश्तेदारों का भी चुनाव प्रचार में बुलाकर जोड़-तोड़ की जाती है। मुकेश अग्निहोत्री के इस थिंक टैंक में राम कुमार कितनी सेंध लगा पाएंगे, ये कहना फिलहाल मुश्किल है।
मुकेश के पिता हारे हैं यहां से चुनाव…
वर्ष 1998 में इस विधानसभा क्षेत्र से मुकेश अग्निहोत्री के पिता व लोक संपर्क विभाग (Public Relations Department) से रिटायर अधिकारी ओंकार शर्मा कांग्रेस के टिकट पर चुनाव हार गए थे। उन्हें भाजपा के जय किशन शर्मा ने हराया था। मगर वर्ष 2003 में स्व. वीरभद्र सिंह ने पत्रकार के रूप में कार्यरत मुकेश को इस सीट से चुनाव में उतारा, जिन्होंने पीछे मुड़कर नहीं देखा। वह लगातार चुनाव जीतते रहे।
दो ब्राह्मण परिवारों का रहा है दबदबा….
विधानसभा क्षेत्र में जोशी परिवार व अग्निहोत्री परिवार का दबदबा रहा है। अग्निहोत्री परिवार से पहले यहां जोशी परिवार ने बड़े लंबे समय तक चुनाव जीत कर इस क्षेत्र का प्रतिनिधित्व किया। इनमें दो चाचा-भतीजे अलग-अलग पार्टियों से चुनाव लड़े व जीते। इनमें प्रमुख रूप से कांग्रेस से विजय कुमार जोशी व भाजपा से उनके चाचा कश्मीरी लाल जोशी भी विधायक रहे।
कांग्रेस से विजय कुमार जोशी जीत कर प्रदेश सरकार में उद्योग राज्य मंत्री रहे। स्व. पंडित सुखराम गुट के होने के चलते उन्हें स्व. वीरभद्र सिंह के कोपभाजन का शिकार होना पड़ा। वर्ष 1998 में उनका टिकट काट दिया गया। पहले मुकेश के पिता को टिकट मिला, बाद में उन्हें खुद मैदान में उतारा गया। इस प्रकार संतोषगढ़ वर्तमान में हरोली से जोशी परिवार के एक छत्र राज को खत्म कर दिया गया।
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आंकड़ों में हरोली निर्वाचन क्षेत्र….
हरोली से 1977 में जनता पार्टी के टिकट पर विजय कुमार जोशी जीते, जो बाद में कांग्रेस में आ गए। फिर, विजय जोशी ने 1982 व 1985 में कांग्रेस के टिकट पर चुनाव जीता। 1990 में भाजपा ने उनके चाचा कश्मीरी लाल जोशी को टिकट दिया, जिनसे लगातार तीन बार जीत चुके विजय कुमार जोशी को हार का सामना करना पड़ा।
1993 में विजय कुमार जोशी फिर से कांग्रेस के टिकट पर जीतने में सफल हुए। 1998 में यहां से भाजपा के जय किशन शर्मा ने मुकेश के पिता ओंकार शर्मा को चुनाव हरा दिया। वर्ष 2003 से लगातार मुकेश अग्निहोत्री यहां से चार चुनाव जीतने में सफल हुए।
आंकड़ों का अंकगणित…
1998 में भाजपा के जयकिशन शर्मा को 31.75 प्रतिशत व कांग्रेस के ओंकार शर्मा को यहां से 26.17 प्रतिशत मत मिले। जीत का अंतराल 2311 मतों का रहा। 2003 में पहली दफा चुनाव लड़ रहे मुकेश अग्निहोत्री ने यहां निर्दलीय उम्मीदवार जगरूप सिंह को 5024 मतों के अंतर से हराया।
दिलचस्प बात ये है कि यहां भाजपा के उम्मीदवार जयकिशन शर्मा को तीसरे स्थान पर संतोष करना पड़ा। वहीं, हिविकां के टिकट पर लड़ रहे दिग्गज नेता विजय कुमार जोशी को मात्र 5102 मतों पर संतोष करना पड़ा। 2007 में मुकेश को 31,267 मत पड़े। वहीं, जगरूप सिंह को भाजपा के टिकट पर चुनाव लड़कर 24,643 मत हासिल हुए। वहीं दिग्गज नेता विजय कुमार जोशी बसपा के टिकट पर चुनाव लड़कर मात्र 2414 मत पाकर अपनी जमानत जब्त कर बैठे।
वर्ष 2012 में कांग्रेस के मुकेश अग्निहोत्री फिर विजयी रहे। मगर इस दफा हार का अंतर थोड़ा कम हुआ। मुकेश को 52.76 प्रतिशत व भाजपा के रामकुमार को 43.31 प्रतिशत मत मिले। हार का अंतर 5172 रहा। 2017 में दोबारा मुकेश अग्निहोत्री व रामकुमार का आमना-सामना हुआ। मुकेश को इस दफा 54.44 प्रतिशत मत हासिल हुए।
वहीं रामकुमार को 42.99 प्रतिशत पर संतोष करना पड़ा। इस बार मुकेश की जीत का अंतराल बढ़कर 7377 पहुंच गया। यानि, लगातार मुकेश की लोकप्रियता में बढ़ोतरी होती रही।
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मुद्दे/प्रॉपर्टी ….
हरोली में अवैध खनन और नशा सबसे बड़े मुद्दे है। हाल में एक युवक की गोली मरकर हत्या के मामले ने खासा तूल पकड़ा था। हलफनामे के मुताबिक कांग्रेस प्रत्याशी मुकेश अग्निहोत्री (Congress candidate Mukesh Agnihotri) की कुल चल सम्पन्ति 86.49 लाख, जबकि पत्नी की 2.39 करोड़ की है। कांग्रेस प्रत्याशी की बेटी के पास 1.3 करोड़ की प्रॉपर्टी है,जबकि मुकेश की अचल सम्पति 72 लाख व पत्नी के पास 4.5 लाख है। मुकेश पर 49 लाख का लोन भी है।
भाजपा के राम कुमार की कुल चल सम्पति में 7.77 लाख व अचल सम्पति 75 लाख है। राम कुमार की पत्नी के पास 23 लाख के करीब चल व अचल संपति है।
मतदाताओं के हाथ चाबी… हरोली विधानसभा क्षेत्र में 84,921 मतदाता हैं। महिला मतदाताओं की संख्या 41,769 हैं। जबकि पुरुष मतदाताओं की संख्या 43,152 है। ये आंकड़ा 16 अगस्त 2022 तक का है। लिहाजा, अंतिम आंकड़े में आंशिक वृद्धि की संभावना भी है। इस विधानसभा क्षेत्र में 43 मतदान केंद्र हैं।