शिमला (एमबीएम न्यूज): प्रदेश में विधानसभा चुनाव की आहट तेज हो गई है। कांग्रेस में मुख्यमंत्री पद की दावेदारी को लेकर कोई संशय नहीं है, लेकिन भाजपा में प्रदेश को नहीं समझ आ रहा है कि धूमल होंगे या फिर नड्डा। हालांकि राजनीतिक खबरों की तस्दीक करने को कोई भी तैयार नहीं होता है, लेकिन चर्चाओं के आधार पर खबरें बनती ही हैं। बड़ी चर्चा यह सामने आ रही है कि भाजपा क्या फार्मूला अपना सकती है। पूर्व सीएम प्रेम कुमार धूमल की पैठ को भी नहीं नकारा जा सकता। भाजपा 75 साल से ऊपर के नेताओं को जिम्मेदारी न देने का फैसला काफी पहले ले चुकी है।

तो क्या ये हो सकता है फार्मूला..
एक चर्चा यह भी सामने आई है कि चुनाव में धूमल को ही सीएम प्रोजैक्ट किया जाए। 10 अप्रैल 1944 को जन्मे पूर्व सीएम 10 अप्रैल 2019 को 75 साल के होंगे। करीब सवा साल तक धूमल को ही सीएम रखा जाए। फिर पार्टी का 75 साल का फार्मूला लागू करने के बाद धूमल को पद छोडऩे के लिए कह दिया जाए।
आरामदेह तरीके से जेपी नड्डा को 10 अप्रैल 2019 के बाद बागडोर दे दी जाए। इस तरीके से भाजपा को चुनाव के दौरान न तो नुकसान उठाना पड़ेगा, न ही दोनों दिग्गज नेताओं में कोई मनमुटाव रहेगा। सनद रहे कि वीरवार को मंडी के सरकाघाट में धूमल की रैली में उमड़े जनसैलाब ने पूर्व सीएम को नई ताकत दी है।
यह भी है चर्चा..
इन दिनों राज्य में एक नई चर्चा भी सामने आ रही है। इसके मुताबिक भाजपा नया चेहरा लाने की तैयारी कर रही है। कहा जा रहा है, बीजेपी संगठन में अहम जिम्मेदारी निभा रहे अजय जमवाल वापसी कर रहे हैं। मंडी जिला के अजय जमवाल उत्तरी-पूर्वी राज्यों में पार्टी के संगठन की जिम्मेदारी को बखूबी निभा रहे हैं। यहां तक भी क्यास हैं कि पार्टी जोगिंद्रनगर सीट से टिकट देने की फिराक में हैं। जमवाल की आरएसएस की पृष्ठभूमि है।
मोदी ने मंडी रैली में कहा था कि ऐसा नेतृत्व होना चाहिए, जो सरकार को रिपीट करने का दम रखता हो। राज्य में धूमल व शांता कुमार अपनी सरकारों को रिपीट नहीं कर पाए थे। देखना यह होगा कि जमवाल आते हैं या नहीं। धूमल व नड्डा को माइनस कर पार्टी तीसरे चेहरे को लाकर कितना जोखिम उठा पाती है। सराज के विधायक ठाकुर जयराम को भी सीएम पद का दावेदार माना जा रहा है। पार्टी संगठन को संभालने के साथ-साथ भाजपा सरकार में मंत्री भी रह चुके हैं।
ऐसा भी है इतिहास..
मोटे तौर पर देखा जाए तो मुख्यमंत्री पद को लेकर एक खास तरह का इतिहास भी रहा है। बात कांग्रेस के मुख्यमंत्री रहे ठाकुर रामलाल से की जाए तो स्व. ठाकुर को केंद्र से आकर वीरभद्र सिंह ने हटाया था। तब से प्रदेश में वीरभद्र सिंह का आधिपत्य अपनी पार्टी में कायम है। यह अलग बात है कि उन्हें भी केंद्र से आकर पंडित सुखराम ने हटाकर खुद मुख्यमंत्री बनने का प्रयास किया था।
इसी तरह अगर भाजपा की बात की जाए तो शांता को भी धूमल ने दिल्ली से आकर हटाया, फिर भाजपा की कमान संभाल ली। इसी तरह अब नड्डा की भी पारी को देखा जा रहा है। फर्क यह है कि हॉट सीट हासिल करने से पहले बीजेपी को चुनाव की अग्रिपरीक्षा से गुजरना है।