मैं जली हुई राख नहीं अमरदीप हूं, जो मिट गया वतन पर मैं वह वीर हूं….
चंडीगढ़, 23 अप्रैल :भारत वीरों का देश है। वतन की तरफ अगर किसी ने आंख उठाकर भी देखा तो वह देखने लायक नहीं बचा। मां भारती की रक्षा करते यहां कई जवानों ने शहादत पाई है। आज हम आपको एक ऐसे ही शहीद बेटे लांस नायक कुलवंत सिंह के बारे में बता रहे हैं।
वीरवार (20 अप्रैल) को दोपहर 3 बजे करीब जम्मू-कश्मीर के पूंछ में एक ट्रक पर आतंकी हमला हुआ। जिसमें झुलसकर पांच वीर जवान शहीद हो गए। शहीद जवानों में पंजाब के मोगा जिले के चड़िक गांव का बेटा “लांस नायक कुलवंत सिंह” भी शामिल था। कुलवंत सिंह की शहादत के बाद घर में मातम छा गया। पत्नी का रो-रोकर बुरा हाल हो गया है। वहीं डेढ़ साल की बेटी व 3 महीने के बेटे के सिर पर से पिता का साया उठ गया। मां को जब बेटे के शहादत की खबर मिली तो वह 24 साल पुराने जख्म एक बार फिर हरा हो गए, जब कारगिल युद्ध में कुलवंत सिंह के पिता शहीद हुए थे। ।

जी हां, कुलवंत सिंह के पिता बलदेव सिंह देश की रक्षा करते हुए कारगिल युद्ध में शहीद हो गए थे। कारगिल युद्ध में कुलवंत सिंह के पिता ने अपना पराक्रम दिखाते हुए शहादत पाई। अहम बात यह है कि जिस उम्र में पिता ने देश के लिए अपनी जान कुर्बान की थी उसी उम्र में बेटे ने भी शहादत पाई। कुलवंत के पिता ने लगभग 32 साल पहले कारगिल सेक्टर में सेवा करते हुए शहादत प्राप्त की थी। दोनों के बीच एक और कॉमन बात थी कि कुलवंत भी उसी रेजिमेंट सिख लाइट इन्फैंट्री का हिस्सा थे, जिसमें उनके पिता हवलदार बलदेव सिंह हुआ करते थे।
वीर पिता की तरह बेटे कुलवंत सिंह में भी देशभक्ति का जुनून था। बेटे ने फौज में जाने की तैयारी शुरू कर दी। पिता की शहादत के 11 साल बाद 2010 में कुलवंत सिंह सेना में भर्ती हो गया और मां भारती की सेवा में जुट गया। वहीं अब पिता की तरह ही मां भारती की सेवा करते हुए बेटा भी हमेशा के लिए मां भारती की गोद में गहरी नींद सो गया। कुलवंत का पार्थिव शरीर शनिवार सुबह उनके पैतृक गांव पहुंच गया। इस दौरान हजारों लोगों की भीड़ गांव में जमा हुई। कई किलोमीटर तक कुलवंत सिंह अमर रहें गूंजता रहा
मां से कर गया था ये वादा
मां को जब यह बात पता चली तो पल भर के लिए ऐसा प्रतीत हुआ कि वह निर्जीव हो गई। बेटा जब सेना में भर्ती हुआ तो मां को आश्वस्त करते हुए घर से निकला था। “कुछ नहीं होगा मां सब ठीक हो जाएगा।” यह बात कुलवंत सिंह ने शायद इसलिए कही थी क्योंकि मां कारगिल युद्ध में अपने पति को खो चुकी थी।
पत्नी से एक दिन पहले हुई थी ये बात
कुलवंत सिंह की पत्नी हरदीप कौर ने बताया कि कुलवंत ने शहीद होने से एक दिन पहले फोन पर बातचीत की थी। इस दौरान कुलवंत सिंह ने 3 महीने के बेटे का हाल जाना। कुलवंत सिंह ने फोन पर नया घर बनवाने को लेकर भी बातचीत की थी, क्योंकि उनका घर काफी पुराना हो गया था।
इकलौता कमाने वाला था कुलवंत
कुलवंत सिंह परिवार में इकलौता कमाने वाला था। मां व पत्नी डेढ़ साल की बेटी व 3 महीने के बेटे के साथ चड़िक गांव में रहते हैं। उधर गांव के सरपंच ने बताया कि वह सरकार से मांग करते हैं कि परिवार को हर संभव सहायता प्रदान की जाए।