शिमला,1 अक्तूबर : हिमाचल प्रदेश सरकार स्कूली शिक्षा (Education in Himachal) को ऑनलाइन, गुणवतापूर्ण (Quality education) तथा कान्वेंट स्तर तक ले जाने की कवायद तो कर रही है। लेकिन सुविधाओं (Facility) के मसले में सरकारी स्कूलों (Government schools) की व्यवस्थाएं अभी भी निजी स्कूलो के कोसों दूर है। एक रिपोर्ट के मुताबिक हिमाचल के 49 फीसदी सरकारी हाई स्कूलों (High Schools) में ही इंटरनेट की सुविधा है। आधे से ज्यादा यानी 51 फीसदी स्कूल ऐसे हैं, जहां सरकार इंटरनेट की व्यवस्था नहीं कर पाई है। वहीं 11वीं व 12वीं तक के सीनियर सैकंडरी स्कूलों (Senior Secondary schools) में करीब 17 फीसदी स्कूलों में इंटरनेट (Internet) का इंतजाम नहीं है। बात अगर प्राइमरी और मिडल स्कूलों की करें, तो वहां स्थिति बेहद चिंता जनक हैं। केवल 4 फीसदी प्राइमरी और 17 फीसदी मिडल स्कूलों में ही बच्चों के लिए कंप्यूटर(Computer) उपलब्ध हैं।
रिपोर्ट कहती है कि राज्य के 35 फीसदी हाई स्कूल तथा 8 फीसदी सीनियर सैकंडरी स्कूलों में कंप्यूटर की सविधा से भी वंचित हैं। प्रदेश में मौजूदा समय में 10585 प्राइमरी, 1948 मिडल, 939 हाई और 1857 वरिष्ठ माध्यमिक स्कूल हैं। इससे साफ जाहिर है कि अभी प्रदेश सरकार को स्कूलों को हाईटैक(High tech) करने व बड़े पैमाने पर सुविधाएं(Facility) जुटाने की आवश्यकता है। हैरानी की बात यह है कि आज के डिजिटल(Digital) दौर में गांव-गांव में इंटरनेट है, लेकिन स्कूलों की पहुंच से यह दूर है।
स्मार्ट क्लासेस (Smart classes) का माडल तो प्रदेश के स्कूलों के लिए सपना(Dream) माना जा सकता है। कोविड काल में स्कूलों के लंबे समय से बंद रहने के चलते सरकार आनलाइन क्लासेज (Online classes) पर त्वज्जो तो दे रही है, लेकिन इसके लिए आधार भूत ढांचा खड़ा करने की जरूरत है।