नाहन : विश्व के सबसे बड़े राजनीतिक दल भाजपा(BJP) में ऐसा क्या हुआ कि सिरमौर को सप्ताह से भी कम वक्त में पहले पार्टी का प्रदेश अध्यक्ष दिया गया फिर राज्य मंत्री के तौर पर पांवटा साहिब(Paonta Sahib) के विधायक सुखराम चौधरी का राजनीतिक रुतबा बढ़ा दिया। प्रदेश निर्माता डॉ वाईएस परमार(Dr YS Parmar) की जन्मस्थली में एक वक्त था जब सिरमौर(Sirmour) में पांचों सीटों पर कांग्रेस का परचम लहराता था। धीरे-धीरे भाजपा ने किले में सेंध लगाई। इस समय पांच में से तीन विधायक भाजपा के हैं, यानि स्कोर 5-0 का नहीं है। बावजूद इसके बीजेपी ने सिरमौर के नेताओं पर विश्वास जताया है। प्रदेश अध्यक्ष पर सुरेश कश्यप की तैनाती के बाद यह माना जा रहा था कि अब इस जिला से कोई मंत्री नहीं बनाया जाएगा, लेकिन भाजपा ने इन तमाम अटकलों को खारिज करते हुए सुखराम चौधरी को मंत्रिमंडल में स्थान दिया है। दीगर है कि आज राजभवन में तीन मंत्री शपथ लेने जा रहे है।
धूमल सरकार के वक्त मुख्य संसदीय सचिव रह चुके सुखराम चौधरी(Sukhram Chaudhry) की छवि साफ सुथरी रही है। सादगी के साथ-साथ जमीनी स्तर का नेता माना जाता रहा है। इसके अलावा ओबीसी वर्ग (OBC)से ताल्लुक रखते हैं,यानी उन्हें नेतृत्व देकर बीजेपी ने ओबीसी वर्ग को भी प्रतिनिधित्व प्रदान किया है। इसमें कोई अतिशयोक्ति नहीं है कि सांसद सुरेश कश्यप के साथ-साथ सुखराम चौधरी की छवि बेदाग रही। चर्चा के मुताबिक विधायक दल की बैठक के चलते सुखराम चौधरी भी बुधवार को ही शिमला(Shimla) पहुंच गए थे। बहरहाल यह बात किसी को समझ नहीं आ रही कि तेज तर्रार नेता डॉ राजीव बिंदल(Dr Rajiv Bindal) को क्यों साइड लाइन कर दिया गया है। बता दे जयराम सरकार(Jairam government) में पहले से ही बलदेव भंडारी(पच्छाद) व बलदेव तोमर(शिलाई) अहम ओहदो पर काबिज है। भाजपा चीफ से इस्तीफे के बाद ऐसी भी अटकले चल रही थी कि डॉ बिंदल को मंत्रिमंडल(Cabinet) में स्थान दिया जायेगा लेकिन वो अटकले अब कोरी साबित हो गई है।
आशंका जाहिर की जा रही है कि बीजेपी ने मंत्रिमंडल के विस्तार में भी एक तीरे से कई निशाने साधे है। हालाँकि समर्थको को अब भी उम्मीद है कि बिंदल को राष्ट्रीय स्तर पर संगठन में पद मिलेगा लेकिन मौजूदा राजनितिक हालात कुछ और ही बयां कर रहे है। उल्लेखनीय है कि पूर्व सीएम प्रेम कुमार धूमल(Prem kumar dhumal) के चुनाव हारने के बाद सुखराम चौधरी ने पावंटा साहिब सीट रिक्त करने का भी ऐलान किया था। प्रदेश की राजनीति में ऐसा कम ही हुआ होगा जब एक जिला को एक सप्ताह के भीतर दो बड़े पद दे दिए गए हो। कुल मिलाकर बीजेपी ने एक पद की भरपाई दो अहम पद देकर की है।