नाहन : हिमाचल प्रदेश विधानसभा के सचिव के पद पर तैनात यशपाल शर्मा आईएएस अधिकारी बनने वाले पहले “हाटी” बन गए हैं। हालांकि पिछले 8 से 10 सालों के बीच ट्रांसगिरि खासकर नाया पंजोड क्षेत्र में ऐसा माहौल बना है कि युवा एचएएस बनने को लेकर खासे क्रेजी हैं। 1998 बैच के एचएएस अधिकारी यशपाल शर्मा ने सफलता अर्जित करने के बाद एक प्रशासनिक अधिकारी के तौर पर अपना सफर शुरू किया था। हालांकि करीब-करीब 22 साल के सफर में शर्मा ने कई प्रशासनिक ओहदों को संभाला। लेकिन मौजूदा में हिमाचल विधानसभा के सचिव के पद पर अपनी जिम्मेदारी का वहन बेहतरीन तरीके से कर रहे हैं।
मधुरभाषी व सौम्य स्वभाव के यशपाल शर्मा से पहले ट्रांसगिरि क्षेत्र से किसी ने भी आईएएस का रुतबा हासिल नहीं किया है। पंजोड गांव में तुलसीराम शर्मा व तुलसा देवी के घर जन्में शर्मा की प्रारंभिक शिक्षा ग्रामीण क्षेत्रों में ही हुई। हलाहं में सातवीं तक की पढ़ाई करने के बाद आठवीं की शिक्षा ददाहू के समीप दीद पनार में पूरी की। नैनीधार से दसवीं की पढ़ाई करने के बाद सोलन का रुख कर लिया था। बता दें कि एचएएस से आईएएस बने यशपाल शर्मा का छोटा भाई भी एचपीएस अधिकारी है। साथ ही उनकी पंचायत से ही दो एचपीएस व तीन एचएएस अधिकारी हैं। योगा व मेडिटेशन में गहरी दिलचस्पी रखने वाले यशपाल शर्मा ने नौणी विश्वविद्यालय में भी बतौर रजिस्ट्रार बेहतरीन सेवाएं दी हैं। इसके अलावा कनाडा व यूगांडा की यात्रा कर चुके हैं।
गौरतलब है कि केंद्र सरकार ने वीरवार को हिमाचल प्रदेश प्रशासनिक सेवा अधिकारियों को आईएएस में इंडक्ट करने की अधिसूचना जारी की है। कुल मिलाकर एक पहाड़ी बेटे की सफलता मायने रखती है, क्योंकि 20 साल पहले रिमोट इलाकों के बच्चे शहरों तक नहीं पहुंचते थे। उस जमाने में एचएएस की परीक्षा का सपना देखना अपने आप में ही एक हिम्मत थी। ट्रांसगिरि के हाटी से जुड़े इतिहास की जानकारी रखने वाले शेरजंग चौहान का कहना है कि निश्चित तौर पर ट्रांसगिरि से आईएएस बनने वाले यशपाल शर्मा ही पहली शख्सियत हैं।
एमबीएम न्यूज नेटवर्क से बातचीत में आईएएस यशपाल शर्मा ने कहा कि परीक्षा को उत्तीर्ण करने में कुछ मुश्किलों का सामना करना पड़ा था। चूंकि पहले दो बड़े भाई सरकारी नौकरी में थे, लिहाजा आर्थिक तौर पर परेशानी नहीं हुई, मगर मार्गदर्शन की चुनौती बड़ी थी।