शिमला : एक साधारण कार्यकर्ता से डॉ. राजीव बिंदल विधानसभा अध्यक्ष से होते हुए भाजपा के प्रदेश मुखिया तक पहुंच गए हैं। 24 साल पहले राजनीति में दाखिल हुए डॉ बिंदल ने मंत्री पद की लालसा छोड़कर संगठन को तवज्जो दी है। हालंकि अक्सर ही विपक्ष ने उन्हें निशाने पर लेने की कोशिश की, लेकिन इससे वो मजबूत होते चले गए। करीब 6 महीनो में सीएम जयराम ठाकुर के काफी करीब आने में सफल रहे। अब शुक्रवार को सरकार के सेनापति की तरह नई पारी शुरू करेंगे। पद संभालने के बाद दिल्ली रवाना होंगे, जहां नड्डा की राष्ट्रीय अध्यक्ष पद पर ताजपोशी में शामिल होंगे। अपने गृह हल्के नाहन पहुंचने का कार्यक्रम 22 जनवरी का है।
एक सवाल का जवाब ऐसा तलाशा जा रहा है कि आखिर क्यों पार्टी के तेजतर्रार नेता डॉ. राजीव बिंदल अध्यक्ष बनने के लिए क्यों राजी होंगे। इसके लिए तीन बातें सामने आ रही हैं। चर्चा के मुताबिक पार्टी के कार्यकारी अध्यक्ष जेपी नड्डा के आग्रह पर डॉ. बिंदल सहमत हुए। दूसरी बात यह है कि विधानसभा अध्यक्ष के संवैधानिक पद पर खुलकर राजनीति को लेकर बेडि़यां बंधी हुई थी। एक वो उदाहरण भी डॉ. बिंदल के जहन में हो सकता है, जिसमें पार्टी के मौजूदा राष्ट्रीय कार्यकारी अध्यक्ष जेपी नड्डा ने धूमल सरकार ने वन मंत्री का रुतबा छोड़कर दिल्ली में पार्टी संगठन से जुड़ने का फैसला लिया था। दीगर है कि डॉ बिंदल ने शुक्रवार दोपहर नामाकंन दाखिल कर दिया है। इस दौरान खुद सीएम जयराम ठाकुर सहित कई मंत्री भी मौजूद रहे।
1995 से 2000 तक सोलन नगर परिषद के अध्यक्ष पद पर रहने के बाद विधानसभा में पहली पारी 2000 में शुरू की। उप चुनाव जीतते ही प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड का दायित्व मिल गया। पार्टी के शीर्ष नेतृत्व में कुशल प्रबंधक के तौर पर पहचान रखने वाले विधानसभा अध्यक्ष डॉ. राजीव बिंदल का जन्म उत्तर भारत के नामी वैद्य व समाजसेवी बाल मुकन्द के घर 12 जनवरी 1955 को हुआ था।
खास बात यह है कि डॉ. बिंदल ने अपने बेटे को राजनीति की तरफ प्रेरित नहीं किया, बल्कि बेटा डॉ. विवेक बिंदल आज देश के विख्यात रॉबोटिक सर्जन के नाम पर अपनी पहचान रखता है। यहां तक की एक मर्तबा डॉ. विवेक बिंदल की पीठ प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भी थपथपा चुके हैं। पुत्रवधू डॉ. उषा बिंदल भी मेडिकल कॉलेज की सहायक प्रोफेसर हैं। बेटी व दामाद रेडियोलॉजी विषय के विशेषज्ञ हैं। यानि परिवार की पूरी पृष्ठभूमि चिकित्सा के क्षेत्र से ही जुड़ी हुई है। कहते हैं, हर सफल पुरुष के पीछे एक महिला का योगदान होता है। इस कहावत को विधानसभा अध्यक्ष की पत्नी मधु बिंदल ने भी बखूबी साबित किया है।
1978 में आयुर्वेदाचार्य की डिग्री हासिल करने वाले डॉ. राजीव बिंदल अपना आदर्श दिवंगत प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी को मानते हैं। संघ के प्रचारक के रूप में आदिवासी क्षेत्रों में भी कार्य करने का निर्णय लिया था। करीब अढ़ाई साल तक झारखंड में ही निशुल्क चिकित्सालय का नेतृत्व करते रहे।
जीवन से जुड़ी खास बातें….
– 1945 में सोलन में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की शाखा पिता बालमुकंद ने शुरू की थी।
– पिता 1919 से 1925 तक राष्ट्रपिता द्वारा चलाए गए स्वतंत्रता आंदोलन के भी सक्रिय कार्यकर्ता थे।
– डॉ. राजीव बिंदल ने 1975 में एमरजेंसी के दौरान जेल भी भुगती। साढे़ चार महीने तक करनाल की जेल में रहे।
– 1983 में पैतृक शहर सोलन में चिकित्सा कार्य शुरू किया। इसी दौरान हिमगिरि कल्याण आश्रम संस्था का गठन भी किया। निर्धन व अभावग्रस्त बालकों की सेवा करने वाली इस संस्था में लगातार 20 साल तक कार्य करते रहे।
– 1995 में पहली बार राजनीतिक जीवन में कदम रखा। पांच साल तक नगर परिषद अध्यक्ष रहने के बाद 2000 में उप चुनाव जीता। 2003 में सोलन हलके से दूसरी बार विधायक बने। 2007 में चुनाव जीतने की हैट्रिक बना ली। डि-लिमिटेशन के बाद नाहन विधानसभा में बीजेपी के टिकट पर चौथा चुनाव जीता। 2017 में नाहन से दूसरी बार चुनाव जीत गए।
– प्रदेश में 108 एंबूलेंस सेवा भी डॉ. बिंदल की ही दूरदृष्टि का नतीजा रहा। इस सेवा की नींव उनके स्वास्थ्य मंत्री रहने के दौरान ही पड़ी थी।
संगठनात्मक कौशल व अनुभव की वजह से पार्टी ने उन्हें हरियाणा, पंजाब, दिल्ली, जम्मू-कश्मीर चुनाव में कई बार महत्वपूर्ण जिम्मेदारियां सौंपी।
बतौर विधानसभा अध्यक्ष नाहन विधानसभा क्षेत्र के लिए कई महत्वाकांशी योजनाओं को पूरा करवाने में लगे हुए हैं। इसमें पुलों का निर्माण व नाहन पेयजल योजना अहम है।
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