सुंदरनगर : दिव्यांग काडर के इंप्लाईज के लिए राहत भरी खबर है। सुप्रीम कोर्ट ने हिमाचल सरकार को आदेश दिए हैं कि वह दिव्यांगों को 58 नहीं बल्कि 60 साल की आयु में ही रिटायर करे। हिमाचल सरकार को दिव्यांगों के हकों के मामले में सुप्रीम कोर्ट की फटकार भी लगी है। सुप्रीम कोर्ट ने दिव्यांगों के हक में फैसला सुनाया है। हाईकोर्ट ने भी दिव्यांगों की सेवानिवृति की आयु 58 से 60 वर्ष करने का फैसला सुनाया था। राज्य सरकार ने हाईकोर्ट के फैसले को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी थी। सुप्रीम कार्ट ने दिव्यांगों को तय समय अवधि के भीतर दिव्यांगों को तमाम सुविधाएं मुहैया करवाने के आदेश भी दिए है।
सुप्रीम कोर्ट में हिमाचल सरकार बनाम कृष्ण चंद व अन्य दिव्यांगों के मामलों को लेकर चुनौती दी थी। इस पर 13 सितंबर 2019 को सुप्रीम कोर्ट का फैसला आ गया है। सुप्रीम कोर्ट के ताजा आदेशों से प्रदेश में लाखों दिव्यांग लाभांन्वित होंगे। दिव्यांगों के हक में पहले ही ट्रिब्युनल ने 10 जनवरी 2018 को और हाई कोर्ट ने पांच नवंबर 2018 को भी फैसला सुनाया था। फिर भी वित्त, कानून व मुख्य सचिव और विभागीय अधिकारियों द्वारा भेदभाव करने, अपमानित, तिरस्कार, प्रताडि़त करने का कार्य दिव्यांगों के साथ किया गया।
सरकार की अफसरशाही ने गलत व तथ्यहीन रिपोर्ट प्रस्तुत की। अगर सरकार चाहती तो समय रहते इस निर्णय को पंजाब समेत अन्य राज्यों की सरकारों की तर्ज पर हिमाचल प्रदेश में भी लागु कर सकती थी। जोकि पंजाब में वर्ष 2013 से लागु है। लेकिन अफसरशाही के आगे सरकार की एक भी नहीं चली और मजबूरन होकर अब सुप्रीम कोर्ट में हार का सामना करना पड़ा। लेकिन अब हिमाचल सरकार बिना समय बर्बाद किए सुप्रीम कोर्ट के इस फैसले को तत्काल प्रभाव से लागु करे ताकि प्रदेश का दिव्यांगजनों का यह काडर लाभान्वित हो सके।
गौर रहे कि हिमाचल सरकार ने दिव्यांगजनों की सेवानिवृत की आयु 58 से 60 वर्ष करने की अधिसूचना 29 मार्च 2013 को जारी की थी और दो अगस्त 1999 की अधिसूचना व अन्य निर्णयों, नियमों, कानूनों विशेष मौलिक अधिकारियों के बावजूद भी सरकार दिव्यांगों को तमाम सुविधाएं नहीं दे पाई है।
उधर मुख्य समाजसेवी एवं दिव्यांगजनों के कानूनी सलाहकार कुशल कुमार सकलानी ने मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर से सुप्रीम कोर्ट का ताजा फैसला आने के बाद दिव्यांगजनों में दिवाली पर्व पर इस फैसले को लागु करने की मांग की है ताकि दिव्यांगों व उनके परिवारों के साथ वर्षो से हो रहे अन्याय के बदले में असल मायने में न्याय मिल सके।