सुंदरनगर : हिमाचल प्रदेश के सुंदरनगर में एक परिवार की दर्दनाक दास्तान सामने आई है। नगर परिषद के अंतर्गत वार्ड नंबर-7 बनायक में एक 4 सदस्यों का परिवार दो समय की रोटी व आशियाने को लेकर प्रशासन के समक्ष मोहताज खड़ा है। हैरानी की बात यह है कि जहां एक ओर नरेंद्र मोदी सरकार प्रधानमंत्री आवास योजना के तहत गरीब परिवारों को 1 करोड़ 95 लाख घर बना कर सुविधा देना चाहती है। वहीं दूसरी तरफ देश में इस प्रकार के परिवार ऐसे हाल में जीने को मजबूर हैं।
मामले की जानकारी देते हुए समाजसेवी संजय शर्मा उर्फ बड़का भाऊ ने कहा कि नगर परिषद के बनायक वार्ड में कर्म सिंह के परिवार के पास रहने के लिए मकान और खाने के लिए रोटी नहीं है। उन्होंने कहा कि इससे बुरी जिंदगी आज के समय में ओर क्या हो सकती है। उन्होंने कहा कि इस वार्ड से नगर परिषद के उपाध्यक्ष ताल्लुक रखते हैं। स्थानीय विधायक का यहां पर ससुराल है। लेकिन फिर भी इस परिवार को एक तरपाल के नीचे जिंदगी बितानी पड़ रही है।
21वीं सदी में भी दो वक्त की रोटी नहीं नसीब
संजय शर्मा ने कहा 21वीं सदी में किसी परिवार को दो वक्त की रोटी भी नसीब नहीं होना शर्म की बात है। उन्होंने कहा की कर्म सिंह का मिट्टी का पुराना मकान 5 साल पहले गिर गया था। जिस कारण वे अपने दो दिव्यांग बच्चों और बीमार पत्नी के साथ एक तरपाल के नीचे रहने को मजबूर थे। उन्होंने कहा कि बारिश और तूफान की वजह से यह तरपाल का आशियाना भी टूट गया। तरपाल के अंदर परिवार अंधेरे में रहने को मजबूर है। कई बार अंंधेरे में बच्चे जीवों तक को भी खा लेते हैं। उन्होंने कहा कि इससे बड़ा नर्क का जीवन कोई नहीं हो सकता।
सरकार व प्रशासन को दिया 15 दिन का अल्टीमेटम
संजय शर्मा ने सरकार व प्रसाशन को इस परिवार की दशा को सुधारने के लिए 15 दिन का अल्टीमेटम दिया है। उन्होंने कहा कि अगर प्रदेेश सरकार व प्रशासन द्वारा इस परिवार के लिए कोई व्यवस्था नहीं बनाई गई तो वह अपने आप चंदा इकट्ठा कर इस परिवार के लिए दो कमरों के मकान का निर्माण करवाएंगे।
तिरपाल का आशियाना गिरा, रिश्तेदारों ने संभाला
जब संजय शर्मा को इस परिवार की दर्दनाक व्यथा के बारे में पता चला तो उन्होंने इनके रिश्तेदारों से संपर्क साधा। इसके उपरांत बड़का भाऊ टीम ने पीड़ित परिवार को उनके रिश्तेदार के पास बल्ह उपमंडल के सोयरा में छोड़ा गया। संजय शर्मा ने कहा कि जब प्रदेश सरकार व प्रशासन ने मुख मोड़ने पर रिश्तेदारों ने वैकल्पिक तौर पर कुछ समय के लिए आशियाना दिया है। लेकिन यह पीड़ित परिवार के लिए स्थायी समाधान नहीं है।