शिमला : 6 बार के मुख्यमंत्री रहे वीरभद्र सिंह के बेटे विक्रमादित्य सिंह विधानसभा में बतौर विधायक पहली पारी खेल रहे हैं। शनिवार को कुछ ऐसा हुआ, जिससे विधायक विक्रमादित्य चर्चा में आ गए हैं। दरअसल, प्रदेश में माननीयों के यात्रा भत्तों को बढ़ाने को लेकर खासा बवाल मचा हुआ है। इसके चलते मंत्री व विधायक असहज महसूस कर रहे हैं।
करीब तीन घंटे पहले विधायक विक्रमादित्य ने फेसबुक पर एक अपडेट किया। इसमें उन्होंने विधायकों व मंत्रियों के बढ़ाए जा रहे भत्ते का विरोध किया। मामला इस कारण जबरदस्त चर्चा में आ गया, क्योंकि विधानसभा के सदन में विक्रमादित्य ने भत्ते बढ़ाने के विधेयक का विरोध नहीं किया। अब सवाल यह उठ रहा है कि क्या विधायक महोदय फेसबुक पर इसका विरोध कर जनता के बीच हीरो बनने की कोशिश कर रहे हैं। जहां तक सदन में माननीयों के भत्ते बढ़ाने का सवाल था तो पहले से इस बात के क्यास लगाए जा रहे थे कि वामपंथी विचाराधारा से जुडे़ विधायक राकेश सिंघा इसका विरोध कर सकते हैं, ऐसा हुआ भी।
फेसबुक अपडेट में विक्रमादित्य ने एक अंग्रेजी दैनिक की खबर को भी चस्पा किया है। इस खबर में विधायक के विरोध का कोई जिक्र नहीं है। विधानसभा में शनिवार को कांग्रेसी विधायक रामलाल ठाकुर ने भत्तों को बढ़ाने की पैरवी करते हुए कहा कि मुख्य सचिव से प्रोटोकॉल में विधायक ऊपर है। यह सुनिश्चित किया जाना चाहिए कि मुख्य सचिव वे विधायकों का वेतन अधिक हो। इसके लिए बाकायदा बिहार की विधानसभा का जिक्र भी किया गया। कांग्रेसी विधायक ने कहा कि इस समय 55 हजार रुपए वेतन मिलता है।
गौरतलब है कि भत्तों को शामिल करने के बाद सरकार का खर्चा एक विधायक पर करीब अढ़ाई लाख के आसपास पहुंचता है। शिलाई के विधायक हर्षवर्धन चौहान का तर्क था कि 1993 में 34 हजार के आसपास वेतन था, जो अब तक 55 हजार पहुंचा है। कुल मिलाकर बात यह है कि माननीयों के यात्रा भत्ते में जबरदस्त इजाफा हो गया है।