वी कुमार/मंडी
आईआईटी मंडी में अनियमितताओं की जांच की मांग करने वाली जनहित याचिका में प्रदेश हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस वी रामा सुब्रमण्यन व जस्टिस अनूप चिटकारा की बैंच ने सुनवाई करते हुए आईआईटी मंडी के निर्देशक, रजिस्ट्रार एवं बोर्ड ऑफ गर्वनर से चार सप्ताह के भीतर जवाब मांगा है। आईआईटी मंडी के पूर्व कर्मचारी सुजीत स्वामी एवं देवांग नाईक की ओर से गत माह की 11 तारीख को जनहित याचिका दायर की गई थी, जिसमें यूनियन ऑफ इंडिया, ह्यूमन रिसोर्स मिनिस्ट्री सहित 11 अन्यों को पार्टी बनाया गया था।
जनहित याचिका में बताया गया है कि आईआईटी मंडी में भर्तियों, टैंडर व अन्य कार्यों में ढेरों अनियमितताएं हैं। जिसकी जांच की जाए। केंद्र सरकार के आदेशों के विपरीत नियम-कायदों को ताक पर रखकर कार्य किया जा रहा है। छोटे पदों पर इंटरव्यू कर अपने चहेतों को भर्ती किया जा रहा है। आईआईटी के कैंपस में चल रहे निजी स्कूल को चलाने पर भी जांच की मांग की गई है। साथ ही कैग की रिपोर्ट का हवाला देकर बताया गया है कि जिस तरह से जनता के पैसे का दुरुपयोग हो रहा है, वह जांच का विषय है।
याचिकाकर्ता की ओर से देवेन कृष्णन खन्ना ने अपना पक्ष रखा। वहीं दूसरी ओर से असीस्टेंट सॉलिस्टर जनरल ऑफ इंडिया रमेश कुमार शर्मा, हिमाचल प्रदेश बार काउंसिल के अध्यक्ष रमाकांत शर्मा व देवयानी शर्मा ने कोर्ट में आईआईटी का पक्ष रखा। न्यायधीशों की खंडपीठ ने चार सप्ताह में जवाबतलब के अलावा उसके बाद अगले चार सप्ताह तक प्रतिउत्तर देने को कहा है। 8 सप्ताह के बाद कोर्ट में पुनः सुनवाई के लिए मामला लाया जाएगा।