एमबीएम न्यूज/नाहन
मौजूदा समय में युवाओं को रातोंरात अमीर बनने का जुनून रहता है। इस होड़ में कई मर्तबा गलत रास्ता भी अपना लेते हैं। आप यह जानकर हैरान होंगे कि शिलाई उपमंडल के कमरऊ के रहने वाले निशांत तोमर ने सालाना लाखों की कमाई छोड़कर एक प्रशासनिक अधिकारी बनने का फैसला लिया। चंद हजार की पगार से इस बात का सुकून निशांत हासिल करना चाहते हैं कि अपनों के बीच रहकर समाज के लिए कुछ करने का मौका मिले।
दरअसल हाल ही में घोषित एचएएस के नतीजे में निशांत तोमर का चयन तहसीलदार के पद के लिए हुआ है। साधारण से परिवार में जन्में निशांत के जीवन ने उस समय एक नया मोड़ ले लिया, जब पूर्व राष्ट्रपति अब्दुल कलाम सितंबर 2015 में आईआईएम शिलॉन्ग में छात्रों को संबोधित करने आए थे। पूर्व राष्ट्रपति ने युवाओं को समाज सेवा के लिए प्रेरित किया। प्रथम पंक्ति में बैठे निशांत के दिमाग में पूर्व राष्ट्रपति की बात छाप छोड़ गई। इसी कार्यक्रम में पूर्व राष्ट्रपति अब्दुल कलाम की तबीयत भी खराब हुई थी।
पूर्व राष्ट्रपति की बातों से प्रेरित होकर निशांत ने जून 2016 में एचएएस की परीक्षा की तैयारी शुरू कर दी। 2017 की एचएएस परीक्षा का नतीजा हाल ही में जारी हुआ। पंजाब विश्वविद्यालय में 2009 से 2013 के बैच में बी टेक करने के बाद एमबीए के लिए आईआईएम शिलॉन्ग में दाखिला मिल गया। आईआईएम में दाखिला ही अपने आप में बड़ी उपलब्धि होता है। लाजमी तौर पर आईआईएम से डिग्री लेने पर युवाओं का भविष्य कॉपोरेट सेक्टर में बेहद स्वर्णिम रहता है। अप्रैल 2018 में होनहार निशांत तोमर को सिफी टैक्नोलॉजी में बतौर प्रोडक्ट मैनेजर लगभग 14 लाख रुपए सालाना पैकेज देना शुरू कर दिया।
बात यहीं नहीं रुकती चंद सालों में यह पैकेज दोगुना भी हो जाता। मगर निशांत ने पैसों का मोह उसी वक्त त्यागने का फैसला ले लिया था, जब पूर्व राष्ट्रपति अब्दुल कलाम की बातों से प्रभावित हुए थे। सरकारी क्षेत्र में आने के बाद निशांत को हालांकि संतोषजनक पगार मिलेगी, लेकिन सालाना 14 लाख की आमदनी के लिए वक्त लगेगा।कुल मिलाकर यह मानना होगा कि निशांत की सोच व जज्बा लाखों युवाओं से हटकर है। पिता का कहना था कि परिवार को मामूली इलम नहीं था कि बेटे के मन चल रहा है। उन्होंने बताया कि नतीजा आने के बाद ही पता चला।