एमबीएम न्यूज/शिमला
कांगडा केंद्रीय सहकारी बैंक समिति में नियुक्तियों की प्रक्रिया रद्द करने का फैंसला जयराम सरकार पर लोकसभा चुनाव में भारी पड़ सकता है। वीरभद्र सरकार के दौरान विभिन्न श्रेणी के 216 पदों के लिए भर्ती प्रक्रिया शुरू की गई थी। भर्तियों को निरस्त करने के फैसले को लेकर बेरोजगार युवा लगातार विरोध कर रहे हैं। आरोप यह लग रहा है कि हाईकोर्ट के आदेश की आड़ में चेयरमैन द्वारा बैंक भर्ती रद्द करने का अलाप रागा जा रहा है, जबकि हकीकत में बैंक के बोर्ड ने भर्ती निरस्त की है। टवीट किए गए कमेंट्स का स्क्रीनशॉट
हाईकोर्ट ने केवल इस फैसले का हवाला देकर लंबित याचिका को खाारिज किया है। सवाल यह उठाया जा रहा है कि जांच प्रक्रिया में भी कोई दोषी सामने नहीं आया है। पिछली सरकार से राजनीतिक द्वेष के चलते सैंकड़ों बेरोजगारों के भविष्य को दांव पर लगा दिया गया। उपलब्ध करवाई गई जानकारी के मुताबिक 216 पदों के लिए 1 लाख 26 हजार बेरोजगारों ने आवेदन किया था। एक आवेदन की एवज पर 600 रुपए का शुल्क भी दिया गया। इस मामले से जुड़े जानकारों का यह भी तर्क है कि भर्ती प्रक्रिया के पूरे खर्चे के बाद 7 करोड़ रुपए अर्जित कर लिए गए। बरोजगारों ने एमबीएम न्यूज नेटवर्क को इस भर्ती प्रक्रिया से जुडे़ तमाम दस्तावेज भी दिए हैं। इसके मुताबिक याचिका संख्या 1435/2017 में हाईकोर्ट ने केवल इतना लिखा है कि केसीसी बोर्ड ने 28 दिसंबर को भर्ती रद्द करने का फैसला लिया था, लिहाजा याचिका बंद की जा रही है।
उधर इस पूरे मामले में प्रतिक्रिया जानने के लिए एमबीएम न्यूज नेटवर्क ने केसीसी बैंक की वैबसाइट पर उपलब्ध बैंक के चेयरमैन सहित प्रबंध निदेशक को संपर्क साधने की कोशिश की। चेयरमैन ने मोबाइल रिसीव नहीं किया, जबकि प्रबंध निदेशक के लैंडलाइन नंबर से उनके शिमला में बैठक में जाने ने की बात कही गई।
गौरतलब है कि इस भर्ती प्रक्रिया के लिए बैंक ने स्कूल शिक्षा बोर्ड को जिम्मेदारी सौंपी थी। साक्षात्कार तक चरण पूरा हो गया था। बैंक से जुड़े जानकार यह भी बता रहे हैं कि उच्चशिक्षा प्राप्त बेरोजगारों की सेवा बैंक को मिलने से फायदा होता। दीगर है कि बैंक भर्ती प्रक्रिया रद्द करने के पीछे एनपीए का हवाला देता रहा है।
22 हजार से अधिक टवीट्
भर्ती प्रक्रिया के विरोध में बेरोजगार युवाओं ने मुख्यमंत्री सहित केसीसी बैंक को करीब 22 हजार से अधिक टवीट किए हैं, जो कि हिमाचल के नजरिए से काफी बड़ा आंकड़ा है, मगर अब तक कोई जवाब नहीं दिया गया है। अंदरखाते की जानकारी मुताबिक भर्ती प्रक्रिया रद्द करने के विरोध में आ रही प्रतिक्रियाओं से सरकार भी सकते में है, क्योंकि लोकसभा चुनाव पर असर पड़ सकता है।
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