धर्मशाला (शैलेंद्र कालरा) : चारों तरफ घना जंगल। पीने के लिए पानी नहीं। भालू से आमना-सामना। खाने को कुछ नहीं। दो लंबी भयावह रातें। यह चंद बातें हैं जिन्हें याद कर राजस्थान के जयपुर के आदित्य सिंह के आज भी रोंगटे खड़े हो जाते हैं। बात 20 जून की है, लेकिन कांगड़ा पुलिस को अपने रेस्क्यू पर सैल्युट करते हुए आदित्य ने अपने स्वास्थ्य में सुधार आने के बाद एक पत्र लिखा है। भगवान का शुक्रिया अदा इसलिए किया जा रहा है कि आदित्य का गहरी खाई में गिरने के बाद मोबाइल चल रहा था। लेकिन बावजूद इसके उसका जीवित बच जाना किसे अचम्भे से कम नहीं है।
पुलिस रेस्क्यू दल के साथ आदित्यआदित्य की अपनी जुबानी
20 जून की दोपहर वह मैक्लोडगंज के नजदीक त्रियुंड में स्नो लाइन से वापिस लौट रहा था। अचानक उसका पांव फिसला और वह गहरी खाई में जा गिरा। इस पर उसके हिप व रिब फ्रैक्चर हो गए। असहनीय पीड़ा झेलने के दौरान मौसम भी खराब हो रहा था। मगर मैं जीपीएस लोकेशन भेजने में कुछ हद तक कामयाब रहा।
मैं ऐसे स्थान पर फंस चुका था, जहां बचाव दल का मुझे देख पाना बेहद मुश्किल था। चारों तरफ ऊंचे पहाड़ डरा रहे थे। बारिश के दौरान एक भालू भी नजर आया। बड़ी मुश्किल से मैंने खुद को पेड़ों के पीछे छिपा कर जान बचाई। रात हो चुकी थी। इस रात को बिताना जंग जीतने के बराबर था। जैसे-तैसे रात बीती। अगले दिन सुबह फिर चुनौतियां थी। बारिश जारी थी। खाने का सामान भी खत्म हो रहा था। 21 जून की रात भी वहीं बिताई।
22 जून की सुबह मैंने जिंदा रहने की उम्मीद छोड़ दी थी। मुंह सूख रहा था। पानी के बिना जिंदा रहना मुश्किल था। रेंगते हुए घाटी में मैंने पानी ढूंढने की कोशिश भी की। 17 घंटे का वक्त असहनीय पीड़ा व खाने के बिना बिताना आसान नहीं था। 22 तारीख को सुबह 11 बजे मैं उस वक्त भौचक्का रह गया, जब मुझे लाल रंग की टी-शर्ट में बचाव दल का एक सदस्य नजर आया।
इसके बाद एक व्यक्ति ओर नजर आया। पुलिस टीम के बचाव दल में पांच और सदस्य भी थे। उस वक्त जो मैंने राहत की सांस ली थी, उसे में उम्र भर नहीं भूल पाऊंगा। यह जिंदगी बचने का करिश्मा था क्योंकि मैं किसी इंसान को दोबारा देखने की उम्मीद छोड़ चुका था। मुझे जान बचने के बाद पता चला कि पुलिस का बचाव दल 21 जून से मेरी तलाश में जुटा था।
मैं बार-बार हिमाचल पुलिस व प्रशासन का थैंक्स करना चाहता हूं कि इस असंभव सर्च ऑपरेशन को संभव कर दिखाया। मेरा पूरा परिवार हिमाचल पुलिस का आभारी है।
“निश्चित तौर पर पुलिस के बचाव दल ने सराहनीय कार्य किया है। लेकिन दीगर बात यह भी है कि जवानों ने अपने कर्तव्य को निभाया। इसके लिए बचाव दल के तमाम सदस्य बधाई के पात्र हैं।”
-अभिषेक दुल्लर, पुलिस अधीक्षक कांगड़ा